मोहन राकेश की कहानियाँ नई कहानी को एक अपूर्व देन के रूप में स्वीकार की जाती हैं! इस संकलन में उनकी प्राय: सभी प्रतिनिधि कहानियाँ संगृहित हैं, जिनमें आधुनिक जीवन का कोई-न-कोई विशिष्ट पहलू उजागर हुआ है! राकेश मुख्य्त: आधुनिक शहरी जीवन के कथाकार हैं, लेकिन उनकी संवेदना का दायरा मध्यवर्ग तक ही सीमित नहीं है! निम्नवर्ग भी पूरी जीवन्तता के साथ उनकी कहानियों में मौजूद है! इनके कथा-चरित्रों का अकेलापन सामाजिक सन्दर्भों की उपज है! वे अपनी जीवनगत जददोजहद में स्वतन्त्र होकर भी सुखी नहीं हो पाते, लेकिन जीवन से पलायन उन्हें स्वीकार नहीं! वे जीवन-संघर्ष की निरन्तरता में विश्वास रखते हैँ! पात्रों की इस संघर्षशीलता में ही लेखक की रचनात्मक संवेदना आश्चार्यजनक रूप से मुखर हो उठती है! हम अनायास ही प्रसंगानुकूल कथा-शिल्प का स्पर्श अनुभव करने लगते हैं, जो कि अपनी व्यंग्यात्मक सांकेतिकता और भावाकुल नाटकीयता से हमें प्रभावित करता है! इसके साथ ही लेखक की भाषा भी जैसे बोलने लगती है और अपने कथा-परिवेश को उसकी समग्रता में धारण कर हमारे भीतर उतर जाती है!
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