जाने माने कथाकार मिथिलेश्वर हिंदी कथा-साहित्य में एक अलग महत्व रखते है! प्रेमचंद और रेनू के बाद हिंदी कहानी से जिस गावों को निष्कासित कर दिया गया था, अपनी कहानियों में मिथिलेश्वर ने उसे की प्रतिष्ठा की है! दूसरे शब्दों शब्दों में, वे ग्रामीण यथार्थ के महत्वपूर्ण कथाकार है और उन्होंने आज की कहानी को संगर्षशील जीवन-दृष्टि तथा रचनात्मक सहजता के साथ पुन: सामाजिक बनाने का कार्य किया है!
इस संग्रह में शामिल उनकी प्राय: सभी कहानियां बहुचर्चित रही हैं! ये सभी कहानियां वर्तमान ग्रामीण जीवन के विभिन्न अंत: विरोधों को उद्घाटित करती हैं, जिससे पता चलता है की आज़ादी के बाद ग्रामीण यथार्थ किस हद तक भयावह और जटिल हुआ है! बदलने के नाम पर गरीब के शोषण के तरीके बदले हैं और विकास के नाम पर उनमें शहर और उसकी बहुविध विकृतियां पहुंची है ! निस्संदेह इन कहानियों में लेखक ने जिन जीवन स्थितियों और पात्रों का चित्रण किया है, वे हमारी जानकारी में कुछ बुनियादी इज़ाफ़ा करते हैं और उनकी निराडम्बर भाषा शैली इन कहानियों को और अधिक सार्थक बनातीबनती है!
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