Look Inside

मीराबाई- Mirabai (Devotee of Girdhar Gopal)

$15
Express Shipping
Express Shipping: Guaranteed Dispatch in 24 hours
Quantity
Delivery Ships in 1-3 days
Item Code: HAE847
Author: M.P. Kamal
Publisher: Manav Utthan Sewa Samiti, Delhi
Language: Hindi
Pages: 248
Cover: PAPERBACK
Other Details 7.5x5.5 inch
Weight 220 gm
Fully insured
Fully insured
Shipped to 153 countries
Shipped to 153 countries
More than 1M+ customers worldwide
More than 1M+ customers worldwide
100% Made in India
100% Made in India
23 years in business
23 years in business
Book Description

प्रस्तावना

भगवान कृष्ण का उनसे बड़े उम्र का मित्र अपने ससुराल से अपनी पत्नी को विदा करवाकर ला रहा था। उस समय भगवान श्रीकृष्ण अपने सखाओं के साथ ब्रज में गायों को चरा रहे थे। उन्होंने देखा कि मेरा मित्र अपनी ससुराल से अपनी पत्नी को विदा कराके ला रहा है। मेरा मित्र मेरी उम्र से बड़ा है। अतः इनकी पत्नी मेरी भाभी लगेगी। मित्र और भाभी से मिलने के लिए भगवान उनके करीब पहुँचे। भगवान कृष्ण ने डोली में बैठी भाभी का मुख देखने की कोशिश की, पर भाभी ने अपनी माँ की कही हुई बात को मानकर, अपना मुख नहीं देखने दिया, क्योंकि उसकी माँ ने कहा था कि बेटी जिस गाँव में तेरा विवाह हुआ है, उस गाँव में कृष्ण रहता है, वह बड़ा ही नटखट है। तुम कभी भी उसे नहीं देखना। भगवान के कोशिश करने पर भी जब भाभी ने अपना मुख नहीं दिखाया तो भगवान वापस अपनी गायों के पास आ गये।

जब इन्द्र की पूजा के स्थान पर गोवर्धन की पूजा भगवान ने करवाई तो इन्द्र कुपित होकर भयानक आँधी के साथ घनघोर बारिस शुरू कर दी। इससे पीड़ित होकर सब गोप, कृष्ण के पास अपनी सुरक्षा की गुहार लिए पहुँचे। कृष्ण ने कहा कि अब गोवर्धन ही हमारी रक्षा करेगा। अतः सब गोवर्धन पर्वत के पास चलो। भगवान ने अपने हाथों से गांवर्धन को उठाकर बाएँ हाथ की कनिष्ठका अंगुली पर धारण कर लिया। गोवर्धन पर्वत रूपी छतरी के नीचे सब गोप-गोपियों सहित गऊएँ भी इन्द्र के कोप से सुरिक्षत हो गयीं। इन गोपियों के समूह में वह गोपी भी थी, जिसने भगवान द्वारा मुख देखने के प्रयत्न करने पर भी अपना मुख नहीं दिखाया था। इस गोपी की नजर भूल से श्रीकृष्ण की ओर चली गई और भगवान के सगुण स्वरूप को अपने नेत्रों से अपलक देखती अपने भाग्य की सराहना करने लगी। जिस रूप का दर्शन करने के लिए मुनि-जन ध्यान-समाधि लगाते हैं, जिसके चरणों की वंदना भगवान शंकर करते हैं। शेष, शारदा जिसकी महिमा गाते हुए नहीं थकते। बड़े-बड़े राजा-महाराजा जिनके चरणों में अपना शीश रखकर प्रणाम करते हैं। उनके दर्शन से अब तक मैं वञ्चित रही। फिर वह अपने को धिक्कारने लगी कि हमारा दुर्भाग्य है, जो मेरी माँ ने कृष्ण को नहीं देखने की सख्त सीख दी थी। भगवान स्वयं हमारे पास आये थे, पर मैंने उनका अपमान किया। भगवान के चरणों में गिरकर वह अपने से हुए अपराध की क्षमा माँगने लगी। भगवान ने उसके पश्चाताप को देखते हुए कहा- इस जन्म में तुमने मेरी अवहेलना की है, इसलिए इस जन्म में तो नहीं, पर अगले जन्म में तुझे मेरी भक्ति प्राप्त होगी। गोपी ने भगवान के गिर अर्थात् पर्वत धारण किए रूप (गिरधर) को अपने हृदय में धारण कर लिया। इसी संस्कार के कारण मीराबाई के सभी भजनों के अंत में गिरधर गोपाल शब्द आया है। भगवान के आशीर्वाद से वही गोपी लगभग 5 हजार वर्ष बाद मेड़ता (राजस्थान) के राजपरिवार में जन्म लिया, जो मीराबाई के नाम से विख्यात हुई।

Frequently Asked Questions
  • Q. What locations do you deliver to ?
    A. Exotic India delivers orders to all countries having diplomatic relations with India.
  • Q. Do you offer free shipping ?
    A. Exotic India offers free shipping on all orders of value of $30 USD or more.
  • Q. Can I return the book?
    A. All returns must be postmarked within seven (7) days of the delivery date. All returned items must be in new and unused condition, with all original tags and labels attached. To know more please view our return policy
  • Q. Do you offer express shipping ?
    A. Yes, we do have a chargeable express shipping facility available. You can select express shipping while checking out on the website.
  • Q. I accidentally entered wrong delivery address, can I change the address ?
    A. Delivery addresses can only be changed only incase the order has not been shipped yet. Incase of an address change, you can reach us at help@exoticindia.com
  • Q. How do I track my order ?
    A. You can track your orders simply entering your order number through here or through your past orders if you are signed in on the website.
  • Q. How can I cancel an order ?
    A. An order can only be cancelled if it has not been shipped. To cancel an order, kindly reach out to us through help@exoticindia.com.
Add a review
Have A Question

For privacy concerns, please view our Privacy Policy

Book Categories