श्रीश्रीठाकुर के आशीर्वाद से माताओं के लिए उनके चलन-संकेतों का संग्रह 'मातृमंगल' प्रकाशित हुआ ।
माताओं के साथ, माताओं के प्रसंग में महाग्रंथ 'आलोचना-प्रसंग' के विभिन्न खंडों में श्रीश्रीठाकुर के जो-सब नीति-संकेत और नीति-निर्देश लिपिबद्ध हैं, इस संकलन में यथासंभव वे सब क्रमानुसार संकलित हुए हैं। समझने की सुविधा के लिए प्रत्येक नीति-संकेत और नीति-निर्देश को ही विषय के अनुसार शीर्षक देने की चेष्टा की गयी है। हर अनुच्छेद के अंत के पहले 'आलोचना-प्रसंग' की खण्ड-संख्या एवं उसके बाद उसकी पृष्ठ-संख्या दी गयी है। मूल ग्रंथ के प्रथम संस्करण ही इस संकलन के मुख्य-स्त्रोत होने की वजह से संस्करणों के अन्तर होनेपर पृष्ठ-संख्या में अंतर होनेपर पृष्ठ-संख्या में परिवर्तन सम्भावित है।
श्रीश्रीठाकुर की कथाओं के नियमित पठन-पाठन एवं उनके नित्य अनुशीलन, माताओं को विशेषतः उनकी आश्रिताओं को श्रीश्रीठाकुर के मनोनुकूल बना लें, यही प्रार्थना है।
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