मशरिकुल-अज़कार के सम्बंध में उस 'अप्रतिबाधित की वाणी ने यह बात कही थी। महिमान्वित हो उसकी शक्ति और उदात्त हो उसका साम्राज्य ! उसका कहना है:
गुणगान करो तुम उसका जो विश्व की 'अभिलाषा' है कि उसने अपने धर्म की सेवा में तुझे संपुष्ट किया है। संसार के लोग उत्तेजित हैं, उपद्रव और विद्रोह व्याप्त है और सब 'उसके प्रकाश को बुझाने उठ खड़े हुए हैं। किन्तु इसके बावजूद, तुम और और 'उसके चुने हुए जन परमात्मा के उल्लेख और उसके स्मरण में सक्रिय रूप से निमग्न हो।
इस भवन को अनन्त काल तक याद रखा जाएगा क्योंकि इसे उस एकमेव सत्य ईश्वर के नाम पर और उसके दिनों में खड़ा किया गया है, और उसे उसकी आज्ञा के आभूषण से अलंकृत किया गया है। वह जो कि 'अनन्त सत्य है उससे याचना करो कि अपने धर्म की सेवा में वह प्रत्येक आत्मा को संपुष्टि प्रदान करे ताकि सब दृढ़ रह सकें और उसका अनुपालन कर सकें जो कि परमात्मा ने अपनी 'पुस्तक' में भेजा है।
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