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मैला आँचल: Maila Aanchal

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Item Code: HAA267
Author: Phanishwar Nath Renu
Publisher: Rajkamal Prakashan
Language: Hindi
Edition: 2022
ISBN: 9788126704804
Pages: 354
Cover: Paperback
Other Details 8.5 inch X 5.5 inch
Weight 340 gm
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Book Description
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पुस्तक परिचय

मैला आँचल हिन्दी का श्रेष्ट और सशक्त आंचलिक उपन्यास है। नेपाल की सीमा से सटे उत्तर पूर्वी बिहार के एक पिछड़े ग्रामीण को पृष्ठभूमि बनाकर रेणु ने इसमें वहाँ के जीवन का, जिससे वह स्वयं भी घनिष्ट रूप से जुड़े हुए थे, अत्यन्त जीवन्त और मुख चित्रण किया है।

मैला आँचल का कथानायक एक युवा डॉक्टर है जो अपनी शिक्षा पूरी करने के बाद एक पिछड़े गाँव को अपने कार्य क्षेत्र के रूप में चुनता है, तथा इंसी क्रम में ग्रामीण जीवन के पिछड़ेपन दु ख दैन्य, अभाव, अज्ञान, अन्धविश्वास के साथ साथ तरह तरह के सामाजिक शोषण चक्रों में फँसी हुई जनता की पीड़ाओं और संघर्षों से भी उसका साक्षात्कार होता है। कथा का अन्त इस आशामय संकेत के साथ होता है कि युगों से सोई हुई ग्राम चेतना तेजी से जाग रही है।कथाशिल्पी फणीश्वरनाथ रेणु की इस युगान्तरकारी औपन्यासिक कृति में कथाशिल्प के साथ साथ भाषा और शैली का भी विलक्षण सामंजस्य है जो जितना सहज स्वाभाविक है,उतना ही प्रभावशाली और मोहक भी। ग्रामीण अंचल की ध्वनियों और धूसर लैंडस्केप्स से सम्मपन्न यह उपन्यास हिन्दी कथा जगत में पिछले कई दशकों से एक क्लासिक रचना के रूप में स्थापित है।

 

लेखक परिचय

फणीश्वरनाथ रेणु

जन्म 4 मार्च, 1921 । जन्म स्थान औराही हिंगना नामक गाँव, जिला पूर्णिया (बिहार)

हिन्दी कथा साहित्य में अत्यधिक महत्वपूर्ण रचनाकार । दमन और शोषण के विरुद्ध आजीवन संघर्षरत । राजनीति में सक्रिय हिस्सेदारी । 1942 के भारतीय स्वाधीनता संग्राम में एक प्रमुख सेनानी की भूमिका निभाई । 1950 में नेपाली जनता को राणाशाही के दमन और अत्याचारों से मुक्ति दिलाने के लिए वहाँ की सशस्त्र क्रान्ति और राजनीति में जीवन्त योगदान । 1952 53 में दीर्घकालीन रोगग्रस्तता । इसके बाद राजनीति की अपेक्षा साहित्य सृजन की ओर अधिकाधिक झुकाव । 1954 में बहुचर्चित उपन्यास मेला आँचल का प्रकाशन । कथा साहित्य के अतिरिक्त संस्मरण, रेखाचित्र और रिपोर्ताज़ आदि विधाओं में भी लिखा । व्यक्ति और कृतिकार दोनों ही रूपों में अप्रतिम । जीवन के सन्ध्याकाल में राजनीतिक आन्दोलन से पुन गहरा जुड़ाव । जे.पी. के साथ पुलिस दमन के शिकार हुए और जेल गए । सत्ता के दमनचक्र के विरोध में पद्मश्री की उपाधि का त्याग।

प्रमुख प्रकाशित पुस्तकें मैला आँचल परती परिकथा दीर्घतपा जुलूस (उपन्यास) ठुमरी अगिनखोर आदिम रात्रि की महक एक श्रावणी दोपहरी की धूप सम्पूर्ण कहानियाँ (कहानी संग्रह) ऋणजल धनजल वन तुलसी की गन्ध मुत अबुल पूर्व (संस्मरण) तथा नेपाली क्रान्ति कथा (रिपोर्ताज़) रेह रचनावली (समग्र)

11 अप्रैल, 1977 को देहावसान ।

आवरण विक्रम नायक

मार्च 1976 में जन्मे विक्रम नायक ने एम.. (पेंटिंग) के साथ साथ वरिष्ठ चित्रकार श्री रामेश्वर बरूटा के मार्गदर्शन में त्रिवेणी कला संगम में कला की शिक्षा पाई ।

कई राष्ट्रीय एवं जर्मनी, ऑस्ट्रेलिया, अफ्रीका सहित कई अन्तर्राष्ट्रीय दीर्घाओं में प्रदर्शनी । 1996 से व्यावसायिक चित्रकार व कार्टूनिस्ट के रूप मैं कार्यरत ।

कला के क्षेत्र में कई राष्ट्रीय, अन्तर्राष्ट्रीय पुरस्कारों से सम्मानित । चित्रकला के अलावा फिल्म व नाटक निर्देशन एवं लेखन में विशेष रुचि ।

प्रथम संस्करण की भूमिका

यह है मैला आँचल, एक आंचलिक उपन्यास । कथानक है पूर्णिया । पूर्णिया बिहार राज्य का एक जिला है इसके एक ओर है नेपाल, दूसरी ओर पाकिस्तान और पश्चिम बंगाल । विभिन्न सीमा रेखाओं से इसकी बनावट मुकम्मल हो जाती है, जब हम दक्खिन में सन्याल परगना और पच्छिम में मिथिला की सीमा रेखाएँ खींच देते हैं । मैंने इसके एक हिस्से के एक ही गाँव को पिछड़े गाँवों का प्रतीक मानकर इस उपन्यास कथा का क्षेत्र बनाया है ।

इसमें फूल भी हैं शल भी, धूल भी है, गुलाब भी, कीचड़ भी है, चन्दन भी, सुन्दरता भी है, कुरूपता भी मैं किसी से दामन बचाकर निकल नहीं पाया ।

कथा की सारी अच्छाइयों और बुराइयों के साथ साहित्य की दहलीज पर आ खड़ा हुआ हूँ पता नहीं अच्छा किया या बुरा । जो भी हो, अपनी निष्ठा में कमी महसूस नहीं करता ।

 

 

 

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