हिंदी के अपने ढंग के निराले साहित्यकार हैं देवेंद्र सत्यार्थी जी। एकदम अलमस्त साहित्यकार। फक्कड़ फकीर, जिन्होंने देश की अनंत परिक्रमाएँ कीं। गाँव-गाँव घूमे और लोकगीत इकट्ठे किए। उन्होंने अपनी पूरी जिंदगी इसी में लगा दी। महात्मा गाँधी और गुरुदेव रवींद्रनाथ टैगोर के साथ रहने का सौभाग्य भी उन्हें मिला।
उन्होंने बहुत-सी कहानियाँ लिखीं। ऐसी कहानियाँ जिनमें माटी की महक है और नदी-झरनों जैसा उल्लास। बच्चों के लिए लिखी गई उनकी कहानियों में भी बड़ा निरालापन है। किस्सागोई का आनंद, जो बच्चों को अपने साथ बहा ले जाता है। बच्चे उन्हें पढ़ते हुए कभी हँसते-खिलखिलाते हैं, कभी चुप-चुप कुछ सोचते हैं और कभी भावनाओं में बहने लगते हैं।
ऐसी अनोखी कहानियों का खज़ाना है सत्यार्थी जी के पास। उनमें से कुछ सुंदर मोती चुनकर बाल कहानियों की यह प्यारी पुस्तक तैयार की गई है। ये सचमुच ऐसी कहानियाँ हैं, जिनमें कहानी-कला का जादू है। इसलिए पाठक इन्हें पढ़ते हुए मन मुग्ध हो जाता है। कभी-कभी एक मीठी कसक-सी महसूस होती है। और कभी आँखों में एक नया सपना झिलमिल करने लगता है। जब तक कहानी पूरी नहीं होती, पुस्तक हाथ से छूटती ही नहीं।
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