पुस्तक के बारे में
एम्. पी. पॉल का अभिवादन आधुनिक मलयालम गद्य साहित्य में मार्गदर्शक के रूप में किया जाता है । उनके विचार, शब्द तथा कार्य में सम्पूर्ण समन्वय था, जिससे उनका व्यक्तित्व तथा रचनाएं आने वाली पीढ़ीयों के लिए चिरस्थायी प्रेरणा का स्रोत बन गई । पॉल ने सिद्ध कर दिया कि जीवन साहित्यं-भूत के जाल में बचा नहीं रह सकता, अत: वह नये मार्ग बनाता हुआ, सीमाओं को लांघता, सर्वदा क्षितित के नए आयामों की ओर बढता रहता है ।
एन कृष्णा पिल्लाई के शब्दों में, पॉल में एक विशेष आलोचनात्मक क्षमता थी जिसमें वह अस्त व्यस्त तकनीकी जाल, जिन्हे विभिन्न साहित्यिक सिद्धान्तों से जोड दिया जाता है, के पीछे छिपे रहस्यमय साहित्यिक मूल्यों को परख लेते थे । उनमें वह संवेदनशीलता विश्व की उत्कृष्ट रचनाओं के पठन से आई, जिससे वह साहित्य का कलात्मक अवलोकन कर पाए । उनकी उन्सुक्त आत्मशक्ति ने सर्वदा रूढ़ीवाद व अंध विश्वासों का विरोध किया । उनकी शैली शब्दाडम्बर से मुक्त सहज, सौम्य और सशक्त थी ।
के. एम्. थरकन (जन्म 1930) प्रख्यात लेखक है । उन्हें 1975 में साहित्यिक समालोचना के लिए केरल साहित्य अकादमी पुरस्कार मिला । वे अंग्रेजी तथा मलयालम भाषा में प्रकाशित (लिखित) अनेक पुस्तको के लेखक तथा मलयालम साप्ताहिक मनोरमा तथा भाषापोशिनी के सम्पादक रहे ।
थरकन ने भारत तथा विदेशो में भ्रमण किया है तथा साहित्य व शैक्षिक संस्थाओं के साथ जुडे रहने के साथ साथ केरल साहित्य अकादमी के उप-अध्यक्ष भी रहे है ।
थरकन का पॉल पर यह विशेष प्रबन्ध मलयालम न पढ़ सकने वाले पाठकों के लिए है ।
अनुक्रम
1
साहित्य निर्माता
2
बाल्यकाल तथा शिक्षा
9
3
साहस की प्रतिमूर्ति
14
4
प्रोफेसर तथा प्रिसिंपल
24
5
एक सच्चे मानव
28
6
नये आयाम
33
7
मृत्यु
38
8
उपन्यास पर विचार
41
छोटी कहानियाँ
51
10
प्रगतिशील साहित्य आदोलन
57
11
पॉल गद्यलेखक के रूप में
66
12
सौन्दर्यशास्त्र
74
13
समीक्षात्मक प्रतिभा
80
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