श्रीभगवान् ने कहा (भगवद्गीता कथारूप) चतुर्थ खण्ड, पूर्वार्ध श्रद्धालु पाठकों के समक्ष प्रस्तुत है। इसके पूर्व के पाँच खण्डों को पढ़कर भक्तों ने अत्यन्त प्रसन्नता प्रकट की तथा उनके प्रोत्साहन के कारण ही यह अगली पुस्तक प्रकाशित हो सकी है। हमारा नियम है कि केवल उन्हीं श्लोकों की व्याख्या लिखी जाये, जिन श्लोकों पर श्रील प्रभुपाद ने तात्पर्य लिखे हैं। चूंकि इस चौथे अध्याय में प्रत्येक श्लोक पर श्रील प्रभुपाद ने तात्पर्य लिखा है, अतः इस अध्याय में 42 श्लोक होने के कारण तात्पर्य भी 42 ही हैं। इस पुस्तक में श्लोक संख्या । से लेकर 20 तक की व्याख्या है, जिसको नाम दिया गया है चतुर्थ खण्ड पूर्वार्ध।
इस पुस्तक में जिन श्लोकों की व्याख्या हुयी है, उनमें मुख्यतया श्रीभगवान् ने गीता के प्राचीन इतिहास, गीता की शिष्य परम्परा, अपने जन्मों तथा कर्मों का रहस्य, अपने अवतार का कारण आदि विषयों का वर्णन किया है। इसके पश्चात् भगवान् इस बात पर जोर देते हैं कि जो व्यक्ति उनकी जिस भाव से शरण लेता है, श्रीभगवान् उसी भाव से उसे शरण देते हैं। कोई भक्त यदि श्रीकृष्ण से शान्त रस में प्रेम करता है तो श्रीकृष्ण उसे उसी भाव में सुरक्षा प्रदान करते हैं। यदि कोई भक्त श्रीकृष्ण से दास्य रस में प्रेम करता है तो वे उसे उसी भाव में सेवा प्रदान करते हैं। यदि कोई भक्त श्रीकृष्ण से सख्य रस में प्रेम करता है तो श्रीकृष्ण सखा के रूप में उसे अपना संग प्रदान करते हैं। यदि कोई भक्त श्रीकृष्ण से वात्सल्य रस में प्रेम करता है तो श्रीकृष्ण उसे पुत्र रूप में प्राप्त होते हैं। और यदि कोई भक्त उनसे माधुर्य भाव में सम्बन्ध स्थापित करना चाहता अथवा चाहती है तो वे उसे अपनी प्रेयसी बनाकर दिव्य आनन्द प्रदान करते हैं। अतः भगवान् हमें शिक्षा देते हैं कि हम अन्य देवताओं की शरण न लेकर श्रीकृष्ण की ही शरण लें क्योंकि अन्ततः श्रीकृष्ण ही प्रत्येक जीव के माता-पिता, सखा तथा सुहृद हैं।
लेखक ने श्रीकृष्ण और उनके भक्तों की कृपा से श्लोकों को जो कुछ भी व्याख्या लिखी है, वह भक्तों के समक्ष है। यदि श्रीकृष्ण के भक्तगण इसी प्रकार प्रोत्साहन देते रहेंगे तो श्रील प्रभुपाद की कृपा से लेखक आगे भी इस कार्य को जारी रख सकेगा।
For privacy concerns, please view our Privacy Policy
Hindu ( हिंदू धर्म ) (12491)
Tantra ( तन्त्र ) (986)
Vedas ( वेद ) (705)
Ayurveda ( आयुर्वेद ) (1890)
Chaukhamba | चौखंबा (3352)
Jyotish ( ज्योतिष ) (1442)
Yoga ( योग ) (1093)
Ramayana ( रामायण ) (1389)
Gita Press ( गीता प्रेस ) (731)
Sahitya ( साहित्य ) (23031)
History ( इतिहास ) (8222)
Philosophy ( दर्शन ) (3378)
Santvani ( सन्त वाणी ) (2532)
Vedanta ( वेदांत ) (121)
Send as free online greeting card
Email a Friend
Manage Wishlist