भारतवर्ष में ही नहीं बल्कि विश्व भर के अनेक देशों में रामायण का महत्व देखा जा सकता है। भारतीय आर्यभाषा की संस्कृत काव्य-परम्परा का प्रारम्भ वाल्मीकि रामायण से होता है। प्राचीन् संस्कृत के अतिरिक्त प्राकृत, अपभ्रंश, प्राचीन् हिन्दी तथा हिन्दी लोकसाहित्य आदि में रामायण की समृद्ध परम्परा मिलती है। देश की हिन्दीतर भाषाओं में व्यापक रूप में रामकथाएँ उपलब्ध हैं। राम कितने धर्मों में व्याप्त हैं, यह हमारे लिये आश्चर्य का विषय है- बौद्ध, जैन, योग, अद्वैत, वैष्णव, शैव आदि भारतीय धार्मिक परम्परा में राम हैं। साहित्य एवं उसकी विविध विधाओं- महाकाव्य, गीतिकाव्य, खण्डकाव्य, चम्पू, रूपक, उपरूपक, कथा, नाटक आदि में राम-कथा को महिमामण्डित किया गया है। प्रस्तुत कृति 'खामति रामायण' बौद्ध परम्परा से सम्बद्ध है।
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