Look Inside

स्वामी विशुध्दानन्द परमहंसदेव जीवन और दर्शन: Life and Philosophy of Swami Vishuddhananda

Best Seller
FREE Delivery
Express Shipping
$27
$36
(25% off)
Express Shipping: Guaranteed Dispatch in 24 hours
Quantity
Delivery Ships in 1-3 days
Item Code: HAA146
Publisher: Vishwavidyalaya Prakashan, Varanasi
Author: नन्दलाल गुप्त: (Nandalal Gupta)
Language: Hindi
Edition: 2021
ISBN: 9789351461104
Pages: 324
Cover: Paperback
Other Details 8.5 inch X 5.5 inch
Weight 320 gm
Fully insured
Fully insured
Shipped to 153 countries
Shipped to 153 countries
More than 1M+ customers worldwide
More than 1M+ customers worldwide
100% Made in India
100% Made in India
23 years in business
23 years in business
Book Description

प्रस्तावना

सूर्यविज्ञान प्रणेता योगिराजाधिराज स्वामी विशुद्धानन्द परमहंसदेव एक आदर्श योगी, ज्ञानी, भक्त तथा सत्य संकल्प महात्मा थे । परमपथ के इस प्रदर्शक ने योग तथा विज्ञान दोनों ही विषयों में परमोच्च स्थिति प्राप्त कर ली थी । शाखों के गुह्यतम रहस्यों को वे अपनी अचिन्त्य विभूति के बल से, योग्य अधिकारियों को प्रत्यक्ष प्रदर्शित करके समझाने तथा उनके सन्देहों का समाधान करने में पूर्णरूपेण समर्थ थे । इस प्रकार से उनका जीवन अलौकिक था।

ऐसे सिद्ध महापुरुष की जीवनी प्रस्तुत करना सहज नहीं है । गुरुदेव के श्रीचरणों में बैठने का तथा उनकी कृपा का कतिपय सौभाग्य तथा अन्य गुरुभाइयों और भक्तों से गुरु विषयक वार्त्तालाप का सौजन्य मुझे अवश्य प्राप्त हुआ है । गुरुदेव के सान्निध्य उनकी कृपा एवं शिष्यों तथा भक्तों के संस्मरणों से प्रेरित होकर, हिन्दी भाषा प्रेमियों की गुरुदेव के विषय में जानने की उत्कण्ठा की पूर्ति के हेतु, मैंने गुरुदेव की यह जीवनी प्रस्तुत करने का प्रयास किया है । यह क्रमबद्ध न होकर उनके जीवन की प्रमुख घटनाओं का एक संग्रहमात्र है जो उनकी अलौकिक शक्तियों तथा उनके उपदेशों का अल्प सा परिचय प्रस्तुत करती है।

इन महापुरुष को अनेक योग सिद्धियाँ प्राप्त थीं जिससे प्रकृति, काल और स्थान सब उनकी इच्छा शक्ति के अनुचर थे । साथ ही साथ विज्ञान की भूमि में भी इनकी उपलब्धि इतनी असाधारण थी कि सूर्य की उपयुक्त रश्मियों को आतिशी शीशे द्वारा, रुई आदि पर संकेन्द्रित करके वे मनोवांछित धातुओं, मणियों तथा अन्य पदार्थों का सृजन तथा एक वस्तु को दूसरी में परिवर्तित भी कर देते थे ।

काशी के मलदहिया मुहल्ले में उन्होंने विशुद्धानन्द कानन आश्रम स्थापित किया जो अनेक वर्षों तक उनकी लीलाओं का कर्म स्थल रहा । वहाँ आज भी उनके द्वारा स्थापित प्रसिद्ध नवमुण्डी सिद्धासन तथा संगमर्मर की प्रतिमा के रूप में उनकी स्मृति सुरक्षित है ।

ऐसे महापुरुष की यह जीवनी मेरे जैसे अकिंचन शिष्य का क्षुद्र प्रयासमात्र है । पाठकों, विशेषत साधकों के लिए पुस्तक की उपयोगिता को बढाने के विचार से पुस्तक के दूसरे खण्ड में दिव्यकथा के अन्तर्गत श्री विशुद्धानन्द परमहंसदेव के अमूल्य उपदेशों के कुछ अंश प्रस्तुत किये गये हैं । स्वामीजी प्रत्यक्षवादी थे । उनका कहना था कि जब तक कोई तत्व प्रत्यक्ष न किया जाए और उसे दूसरे को प्रत्यक्ष न कराया जा सके तब तक उसमें पूर्ण विश्वास नहीं हो सकता । विभूति प्रदर्शन का उद्देश्य मात्र इतना ही था । कर्म करने पर वे बहुत जोर देते थे । सदा कहते कर्मेभ्यो नम कर्म करो, कर्म करो । शरीर में रहते हुए कर्म करना ही पड़ेगा इससे छुटकारा नहीं । अत ऐसा कर्म करो जिससे कर्म बन्धन सदा के लिए क्षीण हो जाए और ऐसा कर्म है योगाभ्यास क्रिया । क्रिया के माध्यम से ही मोह निद्रा से छुटकारा मिलेगा ।

आशा है पाठकों को पुस्तक से उपयुक्त प्रेरणा मिलेगी । पुस्तक के सम्पादन में मुझे डॉ० बदरीनाथ कपूर एम०ए० पीएच० डी० से उपयुक्त सहायता प्राप्त हुई है जिसके लिए मैं उनका अत्यन्त अनुगृहीत हूँ ।

विश्वविद्यालय प्रकाशन, वाराणसी के संचालक, श्री पुरुषोत्तमदास मोदी विशेष धन्यवाद के पात्र है जिन्होंने इतने अल्प समय में पुस्तक को सुचारु रूप में प्रकाशित कर दिया ।

 

 

खण्ड एक

   
 

जीवन कथा

   
 

 विषय

   

प्रथम

बाल्यावस्था

1

 

द्वितीय

जीवन दिशा में आमूल परिवर्तन

11

 

तृतीय

ज्ञानगंज यात्रा

16

 

चतुर्थ

दीक्षा के बाद भोलानाथ का अध्ययन क्रम

20

 

पंचम

योग तथा विज्ञान

25

 

षष्ठ

विशुद्धानन्दजी की साधना तथा योगशक्ति

32

 

सप्तम

विशुद्धानन्द दण्डी स्वामी तथा संन्यासी जीवन

37

 

अष्टम

संन्यासी श्री विशुद्धानन्द लौकिक कर्म क्षेत्र में

40

 

नवम

विशुद्धानन्दजी का विवाह

44

 

दशम

गुष्करा का निवास काल

47

 

एकादश

बर्दवान का निवास काल

57

 

दूदाश

आश्रमों की स्थापना

60

 

त्रयोदश

योगिराज विशुद्धानन्द परमहंसदेव का व्यक्तित्व तथा विशिष्ट उपदेश

66

 

चतुर्दश

परमहंसजी के कुछ अद्भुत कार्य तथा घटनाएँ

73

 

परिशिष्ट 1

ज्ञानगंज योगाश्रम 81 से 86

   

परिशिष्ट 2

अधिकारी शिष्यों के संस्मरण

87

 
 

वे गुरु चरणम० म० पं० गोपीनाथ कविराज

87

 
 

गुरुदेव की स्मृति में श्री मुनीन्द्रमोहन कविराज

115

 
 

गुरु स्मृति श्री गौरीचरण राय

126

 
 

देहत्याग के बाद श्री सुबोधचन्द्र रावत

130

 
 

श्रीगुरुकृपा स्मृति श्री जीवनधन गांगुली

134

 
 

लौकिक अलौकिकडाँ० सुरेशचन्द्रदेव डी० एस० सी०

137

 
 

बाबा विशुद्धानन्द स्मृति श्री अमूल्यकुमार दत्त गुप्त

139

 
 

श्री देवकृष्ण त्रिपाठी के संस्मरण

151

 
 

श्री फणिभूषण चौधरी के

153

 
 

श्री नरेन्द्रनाथ वन्धोपाध्याय के

156

 
 

श्री उमातारा दासी के

158

 

परिशिष्ट 3

 विविध संस्मरण

159

 
 

महाभारत काल के अग्निबाण का प्रत्यक्ष प्रदर्शन

159

 
 

गुरुदर्शन, गुरुकृपा श्री इन्दुभूषण मुखर्जी

160

 
 

श्री निकुंजबिहारी मित्र के संस्मरण

161

 
 

श्री सच्चिदानन्द चौधरी के

164

 
 

श्री नेपालचन्द्र चटर्जी के

167

 
 

श्री मन्मथनाथ सेन के

168

 
 

श्री मोहिनीमोहन सान्याल के

171

 
 

श्री ज्योतिर्मय गांगुलि के

177

 
 

श्री गिरीन्द्रनाथ चट्टोपाध्याय के

180

 
 

डॉ० नृपेन्द्रमोहन मुखर्जी के.

182

 
 

श्री प्रियानाथ दे, एम० ए०, बी०एल० के

182

 
 

बनारस का मायावीडॉ० पाल ब्रन्टन

184

 
 

राय साहब श्री अक्षयकुमार दत्त गुप्त के

190

 
 

दिव्यपुरुष श्री सुबोधचन्द्र रक्षित

195

 
 

तिरोधान के अनन्तर घटित कुछ लीलाएँ श्री गोपीनाथ क०

198

 
 

बेले की माला को चम्पे की माला में बदल देना

204

 
 

झाल्दा के राजा उद्धवचन्द्र सिंह की दुर्घटना से रक्षा

205

 
 

गुरुभगिनी के पुत्र की कटी उँगली को जोड़ना

205

 
 

श्री श्यामागति रॉय चौधरी की प्राणरक्षा हेतु रेलगाड़ी

206

 
 

श्री जगदानन्द गोस्वामी की चीते से जीवनरक्षा

207

 
 

बेला के फूलों का स्फटिक में परिवर्तन

207

 
 

गुरुदेव की आकाशगमन की शक्ति

207

 
 

मन के भाव जान लेने की घटना

208

 
 

शास्त्रों के कथन अक्षरश सत्य हैं दो प्रत्यक्ष प्रमाण

209

 

परिशिष्ट 4

 श्री नन्दलाल गुप्त (लेखक) के निजी अनुभव

211

 

परिशिष्ट 5

 सूर्यविज्ञान तत्त्व

218 234

 
 

खण्ड दो

   
 

दिव्यकथा

   

1

अतृप्ति और आकाक्षा, अभाव, आश्रय आसन

236

 

2

अहं ब्रह्मास्मि

237

 

3

आनन्द, आत्मा इष्ट देवता, ऐश्वर्य

238

 

4

उपादान संग्रह तथा उपादान शुद्धि, उपलब्धि

239

 

5

कर्त्तव्य (सांसारिक), कार्य किस प्रकार से होता है? कर्म ज्ञान और भक्ति

240

 

6

कीर्तन क्रिया

241

 

7

कृपा

242

 

8

काम, क्रोधादि रिपु

243

 

9

कर्म योग

244

 

10

कर्म जीवन तथा साधन जीवन, गुरु की आवश्यकता

246

 

11

सद्गुरु तथा गुरुतत्व

247

 

12

चेष्टा, चित्त, चित्त चांचल्य तथा मन

249

 

13

चित् शक्ति, जड़ प्रकृति, ज्ञान, जप, जीव और स्वभाव

250

 

14

जीव, जगत् और ईश्वर, त्याग

252

 

15

दीक्षा तत्त्व

253

 

16

दान

254

 

17

दैव (प्रारब्ध) तथा पुरुषकार (पुरुषार्थ, चेष्टा),दुष्प्रवृत्ति (जीव का नीच भाव)

255

 

18

दु ख, ॐ दुर्गा बोधन

256

 

19

धर्म भित्ति तथा धर्म जीवन, नभि धौति, प्राणायाम तथा कुम्भक

257

 

20

ध्यान, निष्काम कर्म तथा पुरुषकार (चेष्टा, पुरुषार्थ),

259

 

नित्य तथा अनित्य कर्म, नाभि में मन्त्र की प्रत्यक्षता

 

21

निर्भवना, निर्वण, निर्भरता, वैराग्य तथा शान्ति

260

 

22

परमात्मा, परमानन्द

261

 

23

प्रणव तथा बीज, प्राक्तन (प्रारब्ध) कर्म, पाप

262

 

24

पुरुषकार (पुरुषार्थ, चेष्टा), प्रेम

263

 

25

पूजा, वासना, ब्रह्मपथ

264

 

26

विवेक, विवाह संस्कार

265

 

27

भगवान्, भक्ति, भालोबाशा (वैषयिक)

266

 

28

महाशक्ति

267

 

29

मनुष्ययोनि तथा पशुयोनि और बलि, महापुरुष एवं योगी के बाह्य लक्षण

268

 

30

मन देह, मन और आत्मा, मन्द कार्य

271

 

31

युक्तावस्था, मुक्ति

272

 

32

मोक्ष, मन्त्र क्या है तथा उसकी आवश्यकता

273

 

33

मन्त्र तथा बीज

274

 

34

मन्त्र शक्ति, मन्त्र और देवता का विचार

275

 

35

मन की शुष्कता, मृत्यु क्या है?

276

 

36

योग, योगी तथा युक्तावस्था

277

 

37

योग विभूति

278

 

38

द्र योगाभ्यास, लिंग शरीर

279

 

39

स्थूल, लिंग, सूक्ष्म तथा चैतन्य

281

 

40

वासना का त्याग, विश्वास, शक्ति

282

 

41

शास्त्र अलग अलग कैसे? शान्ति, शिष्य के साथ गुरु का सम्बन्ध, श्वास क्रिया, संन्यास तथा त्याग

283

 
 

42

साधना का मूल, साधना में विघ्न

284

 

43

सिद्धि

285

 

44

विभिन्न प्रकार की सिद्धियों

286

 

45

स्थूल नाश, समाधि

287

 

46

विविध प्रसंग

288

 
 

परिशिष्ट

   

47

नवमुण्डी सिद्धासन

308

 

48

श्री विशुद्धानन्दाय नवरत्नमाला

311

 
       











 

 

 

Frequently Asked Questions
  • Q. What locations do you deliver to ?
    A. Exotic India delivers orders to all countries having diplomatic relations with India.
  • Q. Do you offer free shipping ?
    A. Exotic India offers free shipping on all orders of value of $30 USD or more.
  • Q. Can I return the book?
    A. All returns must be postmarked within seven (7) days of the delivery date. All returned items must be in new and unused condition, with all original tags and labels attached. To know more please view our return policy
  • Q. Do you offer express shipping ?
    A. Yes, we do have a chargeable express shipping facility available. You can select express shipping while checking out on the website.
  • Q. I accidentally entered wrong delivery address, can I change the address ?
    A. Delivery addresses can only be changed only incase the order has not been shipped yet. Incase of an address change, you can reach us at help@exoticindia.com
  • Q. How do I track my order ?
    A. You can track your orders simply entering your order number through here or through your past orders if you are signed in on the website.
  • Q. How can I cancel an order ?
    A. An order can only be cancelled if it has not been shipped. To cancel an order, kindly reach out to us through help@exoticindia.com.
Add a review
Have A Question

For privacy concerns, please view our Privacy Policy

Book Categories