लेखक परिचय
(उमेश शर्मा)
अनेक ज्योतिष संस्थाओं द्वारा ज्योतिष दिवाकर, ज्योतिष भूषण ज्योतिष वरिधि आदि अनेक मानद उपाधियों से सम्मानित श्री उमेश शर्मा लगभग 20 वर्षों से ज्योतिष पर कार्य कर रहे हैं । इनका जन्म 24 अप्रैल 1955 को भारत की राजधानी दिल्ली में हुआ । सागर विश्वविद्यालय (म.प्र.) से विज्ञान विषय से स्नातक होने के पश्चात कुछ समय तक रसायन उद्योग में कार्य किया । उसके बाद ज्योतिष शास्त्र को जीवन बना लिया तथा इसी संदर्भ में देश के अनेक स्थानों की यात्रा तथा ज्योतिर्विद महासभा की स्थापना की जिसके द्वारा लील-किताब पर गहन शोध व अध्ययन का कार्य उल्लेखनीय है ।
पत्र-पत्रिकाओं में लेख दिल्ली से प्रकाशित समाचार पत्र "फ्लेश" में ज्योतिष का स्थायी स्तम्भ का लेखन वर्षफल (लाल किताब) पुस्तक जिसमें लाल किताब के मूल सिद्धान्तों की आधुनिक व्याख्या तथा साधारण समस्याओं और उनके समाधान हेतु यथा स्थान पर उपाय रचनाकार के शोध व अध्ययन का स्वयंसिद्ध परिचय है । प्रस्तुत पुस्तक में लेखक ने समाज में प्रचलित टोने-टोटको के साथ-साथ अपने अनुभव जन्य प्रयोगों को भी संकलित किया है।
प्रस्तावना
बींसवीं सदी में ज्योतिष शास्त्र का बड़ा प्रसार हुआ है । कई नई खोजें हुई हैं तथा नवीन ज्योतिष पद्धतियों का विकास द्या । इसी संदर्भ में लाल-किताब का नाम सबसे ऊपर आता है । प्रस्तुत पुस्तक में लाल-किताब पद्धति से कुडलीं की व्याख्या करने के लिए उसके सिद्धान्तो को जो उसके व्याकरण विभाग में दिये हुए हैं जानना अति आवश्यक है: क्योकिं लाल-किताब पद्धति की अपनी एक अलग व्याकरण है जो परम्परागत ज्योतिष से कुछ हट कर है । अत: प्रस्तुत पुस्तक में लाल-किताब के व्याकरण खण्ड को लेकर उसको सर भाषा में प्रस्तुत करने की एक छोटा सा प्रयत्न है ताकि जनसाधारण भी इसको अच्छी तरह जान कर इसको अपने उपयोग में लाकर अपने जीवन में अपने को समर्थ बना सके ।
कर भला हो भला, अन्त भले का भला ।
भूमिका
लाल किताब श्रृंखला पर यह मेरी दूसरी पुस्तक है । इस पुस्तक में मेनें लाल-किताब के व्याकरण खण्ड की सरल शब्दों में व्याख्या करने की कोशिश की है ताकि इस पद्धति को सरलता से समझा जा सके । मेरा यह प्रयास है कि एक शिक्षित व्यक्ति जिसको कुछ अध्ययन में रुचि हो उसको इस पुस्तक को सीखने में कोई कठिनाई न हो । यह पुस्तक लिखने का एक यह भी उद्देश्य है कि मैंने जो जानकारी ज्योतिष की पुस्तक 'लाल-किताब-' से प्राप्त की है वह अधिक से अधिक लोंगों तक पहुँचे और समाज जानकारी का पूर्ण लाभ उठाये । इस पुस्तक में सरलता पर विशेष ध्यान दिया गया है । मेरा पूरा प्रयास यह रहा है कि पुस्तक इतनी सरल हो कि समझने में किसी व्यक्ति को भी कठिनाई न हो, उसके लिए कई स्थानों पर उदाहरणों का भी उपयोग किया गया है ।
आशा करता हूँ कि इसी श्रखंला पर लिखा गई पहली पुस्तक "वर्षफल लाल-किताब" की भाति आप इसे भी पंसद करेगें । सम्भव है कि इसमें कुछ त्रुटियां रह गई हों, परन्तु आशा है कि प्रबुद्ध पाठक अन्यथा न लेते हुए अपनी बहुमूल्य सलाह से उन्हें सुधारने में मदद करेगें । अत: किसी असावधानी, अज्ञानता एवं स्वप्रमादजन्य त्रुटियों के प्रति क्षमा चाहतें हुए अपने प्रेरणा स्त्रोत पाठकों की प्रतिक्रियाऐं सुझाव एवं परामर्श प्राप्त करने का आकांक्षी हूँ ।
अनुक्रमणिका
समर्पण
v
आभार
vii
ix
Xi
व्याकरण परिचय
Xiii
1
परिचय
2
ग्रहों के पक्के घर
3
एक ग्रह का दूसरे ग्रह से संबंध
4
ग्रह राशि का आपसी संबंध
5
कुंडली (कुंडली) की किस्में
7
6
दृष्टियाँ
16
सोया भाव और सोया ग्रह
23
8
कुर्बानी के बकरे
27
9
जन्मदिन का ग्रह व जन्म समय का ग्रह
29
10
बनावटी ग्रह
31
11
ग्रहों का आयु पर आम प्रभाव
33
12
अकेला ग्रह शुभ व अशुभ प्रभाव
34
13
आयु के कौन से वर्ष में किस राशि नं. व भाव नं० के ग्रह प्रभावी होगें
37
14
ग्रह का असर
39
15
ग्रहों की समयावधि
42
ग्रह का लिंग व प्रभाव करने का समय
43
17
ऋण-पितृ
44
18
चन्द्र कुंडली
48
19
35 वर्षीय चक्कर
50
20
मध्य के ग्रह
52
21
महादशा-मर्ज बढ़ता ही गया ज्यूं-2 दवा की
53
22
धोखे का ग्रह
57
भावों का एक साथ प्रभाव देखने का ढंग
59
24
दिमाग के 42 खाने
64
25
ग्रहफल एवं राशिफल
74
26
किस्मत
77
शादी
80
28
संतान
82
यात्रा
85
30
सहायक तालिकाऐं: भाव नं० व से सम्बन्धित वस्तुऐं
87
भाव नं० 2 से सम्बन्धित वस्तुऐं
88
भाव नं० 3 से सम्बन्धित वस्तुऐं
89
भाव नं० 4 सं सम्बन्धित वस्तुऐं
90
भाव नं० 5 से सम्बन्धित वस्तुऐं
91
भाव नं० 6 से सम्बन्धित वस्तुऐं
92
भाव नं० 7 से सम्बन्धित वस्तुऐं
93
भाव नं० 8 से सम्बन्धित वस्तुऐं
94
भाव नं० 9 से सम्बन्धित वस्तुऐं
95
भाव नं० 10 से सम्बन्धित वस्तुऐं
96
भाव नं० 11 से सम्बन्धित वस्तुऐं
97
भाव नं० 12 से सम्बन्धित वस्तुऐं
98
ग्रह से संबन्धित रिश्तेदार-भावानुसार
99
32
ग्रह से संबन्धित कारोबार-भावानुसार
102
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