कुम्भ का महापर्व समुद्र-मंथन के पश्चात् क्षीर सागर से निकले अमृत-कलश की कथा से जुड़ा हुआ है। समुद्र-मन्थन के पीछे जय-पराजय के बीच उलझी देवासुर संग्राम की लम्बी श्रृंखला पुराणों में वर्णित है। पुराणों की प्रतीकात्मक शैली कथाओं के माध्यम से गूढ़ ज्ञानात्मक विषय को रुचिकर प्रसंगों में प्रस्तुत करना है। हमारी प्राचीन संस्कृति को जीवंत और प्रवाहमान बनाने में ये पौराणिक कथाएं अत्यंत महत्वपूर्ण योगदान करती हैं।
विभिन्न पुराणों में वर्णित अमृत-कुम्भ की कथाओं में यद्यपि थोड़ी बहुत भिन्नता है, किन्तु अमृतत्व की प्राप्ति ही सारी कथाओं का मूलाधार है। वास्तव में चिर-जीवन या अमरता की प्राप्ति मानव की चिर-अभिलाषा रही है, आज भी है और कदाचित् आगे भी रहेगी। मृत्यु पर विजय कौन नहीं पाना चाहता? गहन विचार-मन्थन और प्रयत्न इस दिशा में हुआ है। अमृत हाथ भी लगा है, किन्तु कुछ विरले ही सौभाग्यशाली लोगों के। यह पुस्तक कुम्भ-महापर्व पर स्नानार्थी बन्धुगण के लिए मार्ग-दर्शक और सहायक साथी का काम करेगी, इस आशा और विश्वास के साथ हम इसे प्रकाशित कर रहे हैं।
For privacy concerns, please view our Privacy Policy
Hindu (हिंदू धर्म) (12551)
Tantra ( तन्त्र ) (1004)
Vedas ( वेद ) (708)
Ayurveda (आयुर्वेद) (1902)
Chaukhamba | चौखंबा (3354)
Jyotish (ज्योतिष) (1455)
Yoga (योग) (1101)
Ramayana (रामायण) (1390)
Gita Press (गीता प्रेस) (731)
Sahitya (साहित्य) (23143)
History (इतिहास) (8257)
Philosophy (दर्शन) (3393)
Santvani (सन्त वाणी) (2593)
Vedanta ( वेदांत ) (120)
Send as free online greeting card
Email a Friend
Manage Wishlist