पुस्तक के विषय में
'कटरा बी आर्ज़ू' एक मामूली कटरे की कहानी होते हुए भी लगभग पूरे देश की कहानी है- अपने समय की कहानी है। यह उन 'गूँगी बस्तियों' 'गूँगे लोगों' की कहानी है जहाँ 'उजाले' का नहीं नामों-निशान तक नहीं है। ऐसी बस्तियों शहर इलाहाबाद में ही नहीं, हर ब़ड़े शहर में हैं-दिलों में छिपे अँधेरे कोनों की तरह। और हर अँधेरा जैसे अपने भीतर रोशनी का सपना पालता है, वैसे ही बिल्लो और देशराज भी एक सपना पालते हुए बड़े होते हैं- अपना एक घर होने का सपना। सपने को सच बनाने के लिए उन्हें जी-तोड़ संघर्ष करना पड़ता है और जब कामयाबी हासिल होने को होती है तो बुलडोजर उसे चकनाचूर कर जाता है-अँधेरा,अँधेरा ही रह जाता है।
इस उपन्यास की कथा इमरजेंसी से पहले की पृष्ठभूमि में शुरू होती है और 'जनता' के उदय पर आकर खत्म होती है। कथाकार का उद्देश्य सिर्फ कहानी कहना है, अपनी बातें आरोपित करना नहीं। वह तटस्थ भाव से उन यातनामय स्थितियों का चित्रण करता है, जिनमें दर्द का अहसास मिट जाता है-दर्द ही दवा बन जाता है। दर्द केवल बिल्लो और देशराज का नहीं; प्रेमा नारायण, शम्सू मियाँ, भोलू पहलवान, इतवारी बाबा, बाबूराम,आशाराम बगैरह के भी अपने-अपने दर्द हैं जो अपनी हद पर पहुँचकर अपनी अर्थवत्ता खो देते हैं। इमरजेंसी के दौरान ऊपरी तबके के स्वार्थी तत्त्वों ने कैसा अँधेर मचाया, स्थानीय नेताशाही और नौकरशाही कैसे खुलकर तथा आम आदमी का यह विश्वास कैसे टूटा कि 'इमरजेंसी से गरीब आदकी का भला भया है'- ये सारी वास्तविकताएँ पूरे प्रभाव और सहजता के साथ इस उपन्यास में उभर कर आई हैं।
Hindu (हिंदू धर्म) (12652)
Tantra ( तन्त्र ) (1018)
Vedas ( वेद ) (706)
Ayurveda (आयुर्वेद) (1905)
Chaukhamba | चौखंबा (3356)
Jyotish (ज्योतिष) (1462)
Yoga (योग) (1099)
Ramayana (रामायण) (1383)
Gita Press (गीता प्रेस) (734)
Sahitya (साहित्य) (23160)
History (इतिहास) (8263)
Philosophy (दर्शन) (3394)
Santvani (सन्त वाणी) (2588)
Vedanta ( वेदांत ) (120)
Send as free online greeting card
Email a Friend
Manage Wishlist