हंसा दीप मेघनगर, मध्यप्रदेश में जन्म। यूनिवर्सिटी ऑफ टोरंटो में लेक्चरार के पद पर कार्यरत। न्यूयॉर्क, अमेरिका की कुछ संस्थाओं में हिन्दी शिक्षण, यॉर्क विश्वविद्यालय टोरंटो में हिन्ती कोर्स डायरेक्टर। भारत में भोपाल विश्वविद्यालय और विक्रम विश्वविद्यालय के महाविद्यालयों में सहायक प्राध्यापक। लोक साहित्य पर पुस्तक, चार उपन्यास व पाँच कहानी संग्रह। अंग्रेजी, गुजराती, मराठी, पंजाबी, उर्दू व वांग्ला में रचनाएँ, पुस्तकें अनूदित। कई अंग्रेजी फिल्मों के लिए हिन्दी में सव-टाइटल्स का अनुवाद कार्य। प्रतिष्ठित पत्र-पत्रिकाओं में रचनाएँ प्रकाशित ।
मिट्टी की महक शब्दों से आने लगे तो लगता है कि शब्द बोल रहे हैं। इस संग्रह के लिए कहानियों का चयन करते हुए कुछ ऐसी ही अनुभूति हुई। कथारंग की बोलती, वातें करती ये कहानियाँ अपने परिवेश को, अपने कथ्य के साथ जोड़कर कई गुम्फित विद्रूपताओं को भावाभिव्यक्ति के साथ प्रस्तुत करती हैं। दुनिया के कई रंगों की कहानियाँ कथारंग में लेकर शब्दों का एक इन्द्रधनुष-सा रचने की महज एक कोशिश है। इसमें कितनी सफलता मिली है यह पाठक तय करेंगे, पर हाँ मैं यह जरूर कह सकती हूँ कि अपनी-अपनी जमीन के कण-कण से बोलती कलमकारों की संवेदनाएँ इस संग्रह की हर कहानी में उभरकर सामने आती हैं। देश-देशांतर के रचना संसार की एक छोटी-सी झलक सुनिश्चित करती है कि आज के सक्रिय कथाकार अपनी बेहतरीन रचनाओं से पाठकों को रसास्वादन करवा रहे हैं। रचना के साथ समालोचना, कहानी के मुख्य बिंदुओं को रेखांकित करके पाठकों तक पहुँचाने का एक विनम्र प्रयास है।
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