हमारे वेद शास्त्रों के अनुसार सृष्टि की लाखों योनियों में मनुष्य योनि को ही सर्वश्रेष्ठ माना गया है क्योंकि मनुष्य के पास एक अदद मस्तिष्क है जिसके द्वारा वह अच्छाई बुराई या सही-गलत के अन्तर को समझ सकता है। इसके अलावा आदमी हँस सकता है, रो सकता है महसूस कर सकता है। कोई जानवर या पशु-पक्षी ऐसा कुछ नहीं कर सकते। अतः मनुष्य इस पृथ्वीलोक का श्रेष्ठतम प्राणी है। बहुत मुश्किल से मनुष्य जीवन मिलता है फिर भी हम शायद इसका महत्व नहीं समझते। हम क्यों नहीं बुरे काम छोड़कर अच्छे काम करते? क्यों अपने कार्यों से प्रकृति को नष्ट करने पर तुले हुए हैं ? क्यों एक दूसरे से प्यार नहीं करते? क्यों दूसरों का हक छीनने में लगे हुए हैं? क्यों हम जिओ और जीने दो के सिद्धान्त का आचरण नहीं करते?
सच मानिए सृष्टि के प्रत्येक जीव का पेट भरने की क्षमता है हमारी पृथ्वी में, लेकिन इच्छापूर्ति एक आदमी की भी नहीं कर सकती यह। आज मानव सृष्टि के विनाश पर तुला हुआ है जिसे हम विकास कहते हैं दूसरों शब्दों में उसी का नाम विनाश है। आदमी बारूद के ढेर पर बैठा हआ है। एटमी हथियारों का जखीरा इकट्ठा करने की होड़ लगी है जिस दिन ये हथियार प्रयोग किये जाएँगे उस दिन इस पृथ्वी पर कोई लाशों का दाह संस्कार करने वाला भी नहीं बचेगा फिर ऐसे विकास का क्या फायदा?
आज आवश्यकता है बच्चों में ऐसे संस्कार डालने की जिससे आने वाली नस्लों का भविष्य सुरक्षित बच सके। समाज में प्रत्येक प्राणी सुकून के साथ जी सके और यह धरती खूबसूरत बन सके क्योंकि वास्तव में हम जिस ओर जा रहे हैं वह रास्ता सही नहीं है। फिर क्यों हम अच्छी बातें नहीं सोचते और अच्छे काम नहीं करते आज इस बात की बहुत आवश्यकता है, नहीं तो वह दिन दूर नहीं जब वक्त हमारे हाथ से निकल जाएगा और हम पश्चाताप करने के लिए भी जिन्दा नहीं बचेंगे।
भगवान ने हमें कान दिए हैं जो सुनने का काम करते हैं लेकिन कान में अच्छी या बुरी जैसी भी बात पड़ेगी उसे सुनने को हम मजबूर हैं इसी तरह आँखों के सामने भी जो दृश्य होगा हम देखने को मजबूर है लकिन हमारी जबान तो हमारे वश में हो सकती है हम अच्छा बोल तो सकते हैं, हमारे हाथ तो अच्छे कार्य कर सकते हैं।
एक बार किसी जंगल में आग लगी हुई थी। जंगल के सभी जीव जन्तु नदी से पानी ला-लाकर आग में डाल रहे थे ताकि आग बुझ जाए और सबका जीवन सुरक्षित हो सके। हाथी सबसे ज्यादा पानी लाने में सक्षम था और आग बुझाने की कोशिश कर रहा था। एक चिड़िया भी चोंच में एक बूँद पानी लाकर आग में डाल रही थी। किसी ने पूछा कि हे चिड़िया तेरी एक बूंद पानी से क्या इतनी तेज आग बुझ जाएगी? तू क्यों परेशान हो रही है तो चिड़िया ने जवाब दिया कि यह तो मुझे भी पता है कि मेरे एक बूंद पानी से आग नहीं बुझेगी लेकिन मैं यह चाहती हूँ कि जब जंगल का इतिहास लिखा जाए तो मेरा नाम आग लगाने वालों में नहीं आग बुझाने वालों में तो कहने का अर्थ है कि हम चाहे छोटे कार्य करें या बड़े बस, हमें हर हाल में यह सोचना चाहिए कि हमारे कार्यों से हमारे समाज का हमारे देश का या हमारे संसार का कोई अहित तो नहीं हो रहा है। यदि हमारी ऐसी भावना होगी तो हमारी दुनिया एक खूबसूरत दुनिया होगी।
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