पुस्तक के विषय में
डेढ़ साल हुए, जबकि ''जीने के लिए'' के लिखने का ख्याल आया था, लेकिन शायद अब भी वह कागज पर न आता, यदि छपरा जेल में ढाई मास रहने का अवसर न मिलता। यह मेरा पहला उपन्यास है, यदि ''बाईसवीं सदी'' को उस श्रेणी से हटा दें। कितने ही मित्रों को ताज्जुब होगा, कितने मेरे नासिखियापन तथा दूसरे दोषों के कारण हँसेंगे; तो भी कलम को रोकना आसान न था, इसलिए इस अनाधिकार चेष्टा के लिए पाठक क्षमा करेंगे।
अनुक्रम
1
बाल्य स्मृति
2
माँ-बाप
5
3
अनाथ लड़का
13
4
गाँव का त्याग
17
कलकत्ता में
22
6
सेठ का नौकर
27
7
पुस्तकालय का चपरासी
31
8
सत्संग और शिक्षा
35
9
आतंकवाद से असहमत
40
10
मित्र का अन्त
46
11
फिर गाँव में
51
12
पल्टन में भर्ती
55
शिकार और उपकार
61
14
रेल यात्रा
67
15
हिमालय
73
16
महायुद्ध
77
युद्ध क्षेत्र को
83
18
युद्ध में घायल
89
19
अस्पताल में
96
20
दुबारा घायल
104
21
परिचय
109
प्रेम
116
23
वृद्धा का वात्सल्य
124
24
मित्र गोष्ठी
129
25
मोटर ड्राइवर
135
26
कोयले की फेरी
141
प्रेम और आदर्श
149
28
उत्तराधिकार
156
29
स्वदेश में
162
30
एक बार फिर गाँव में
168
स्वयंसेवक को सजा
176
32
शिक्षित-अशिक्षित
182
33
षड्यन्त्र
191
34
जेल यातना
197
कोयले की खान
210
36
अज्ञातवास समाप्त
221
37
पुनर्मिलन
228
38
देश-विदेश
238
39
अवसान
248
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