पुस्तक के विषय में
मलिक मुहम्मद जायसी मध्यकालीन भक्ति-साहित्य की प्रेमाख्यानक काव्यधारा के सबसे महत्वपूर्ण कवि हैं,जिन्होंने धार्मिक संवेदना और धर्मनिरपेक्ष संवेदना को एक मार्मिक संतुलन में डालते हुए लोकभाषा अवधी में पद्मावत जैसी कालजयी प्रबन्ध-कृति की रचना की और हिन्दी-कविता को एक नई वैचारिक और भावात्मक जमीन दी ।
पद्मावत प्रेम कहानी नहीं है, प्रेम और संघर्ष की मिली-जुली कहानी है-जो प्रमाण है कि जायसी में सभी पात्रों के मर्म में प्रवेश करने की अद्भुत क्षमता है । उनकी सांस्कृतिक अवगति और संस्कृतियों की मूलभूत एकता को पहचानने वाली दृष्टि उदाहरण है कि मानवीय संवेदना की बडी पूँजी लेकर जायसी रचना के संसार में प्रवेश करते हैं । उनके यहाँ इतिहास की टकराहटें भी हैं और मानवीय सहानुभूति का कोमल स्पर्श भी है ।
इस विनिबंध के लेखक डॉ. परमानन्द श्रीवास्तव हिन्दी के प्रतिष्ठित कवि-आलोचक हैं । उन्होंने भारतीय साहित्य के पाठकों को जायसी से परिचित कराते हुए कोशिश की है कि कवि के व्यक्तित्व, विचार, सौन्दर्य-संवेदना, कलात्मक संगठन आदि के प्रति उनकी उत्सुकता बढ़े और वे यह भी सोच सकें कि क्यों पद्ममावतजैसी कृतियाँ आज भी नई प्रासंगिकता उपलब्ध करती हैं ।
अनुक्रम
1
समय
7
2
जीवन व्यक्तित्व और रचनाएँ
10
3
‘पद्मावत’ की कहानी: कहानी का अर्थ
15
4
प्रबन्ध के ढाँचे में मार्मिक कविता
27
5
प्रेम-दर्शन
31
6
सौन्दर्य-दर्शन
36
लोक-संस्कृति और लौकिकता का अतिक्रमण
40
8
लोक-भाषा में सम्भव होने वाली कविता
44
9
अन्य रचनाएं : दार्शनिक विचारों की अटपटी कविता
50
जायसी का मूल्यांकन
57
परिशिष्ट :
क कविता का प्रामाणिक पाठ
61
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67
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