लेखक का परिचय. 1
कर्नल अशोक कुमार गौड़-लखनऊ के एक कुलीन ब्राह्मण परिवार में कर्नल अशोक कुमार गौड़ का जन्म 9 मार्च, 1938 को हुआ । राष्ट्रीय रक्षा अकादमी तथा भारतीय मिलिट्री अकादमी से दीक्षित कर्नल गौड भारतीय सेना में मात्र 19 वर्ष की आयु में सम्मिलित हुए । 34 वर्षों की अबाध सेवा के उपरान्त कर्नल गौड़ ने भारतीय सेना से स्वेच्छा से निवृति ले ली ।
धर्म और ईश्वर में आस्था तथा जीवन की शाश्वतता का पाठ उनकी माँ ने मानो उन्हें घुट्टी में ही पिला दिया था । इसलिये सेना के दुरूह अभियानों में भी, जहाँ कर्नल गौड़ सदैव आगे रहते थे, इसी आस्था और विश्वास ने उन्हें सबकी आँखों का तारा बना दिया । तभी उन्हें जीवन और मृत्यु की निरंतरता का ज्ञान हुआ ।
उसी आस्था और विश्वास के साथ चरम सत्य की तलाश में कर्नल गौड़ श्री के. एन. राव के सम्पर्क में सन 1989 में भारतीय विद्या भवन में आए और तब से यही के होकर रह गये । श्री राव के बाद भारतीय विद्या भवन की ज्योतिष सस्थान के वरिष्ठतम सदस्य हैं कर्नल गौड़ । भारतीय विद्या भवन के ज्योतिष सकाय में पिछले सत्रह वर्षों से पढ़ा रहे हैं । ज्योतिष और व्यवसाय तथा गोचर फल दर्पण जैसी अनूठी शोध परक पुस्तकों के रचयिता ।
लेखक का परिचय. 2
डा. उदय कान्त मिश्र :-7 अस्कर, 1949 को जन्म । ज्योतिष शिक्षा : परिवार में 9 वर्ष की आयु से । इण्डियन काउंसिल ऑफ एस्ट्रोलोजिकल साईन्सेस, मद्रास, से ज्योतिष विशारद, भारतीय विद्या भवन, नयी दिल्ली से ज्योतिष आचार्य । सन 1995 से भारतीय विद्या भवन में ज्योतिष के अवैतनिक शिक्षक । हिंदी, उर्दू, बांग्ला, संस्कृत और अंग्रेजी सहित कई भाषाओं का ज्ञान । ज्योतिष शास्त्र की कई पुस्तकों का सुन्दर और सरस अनुवाद । कर्नल गौड़ के साथ Introducation to Astrology का लेखन । सन् 1976 की अखिल भारतीय इंजीनियरिग सेवा में विभाग में प्रथम स्थान । तब से कई वरिष्ठ पदों पर कार्यरत । सिविल इंजीनियरी में पी.एच.डी. की उपाधि । सम्प्रति दूर संचार विभाग के उपक्रम सी. डॉट. में महाप्रबन्धक के पद पर कार्यरत । अभिरुचि-योग, प्राणायाम आदि । आप आर्ट ऑफ लिविंग का प्रशिक्षण भी देते हैं।
आमुख
ज्योतिष, जिसको अपरा विद्या की संज्ञा दी गई है, असीम कष्ट-साध्य और तपस्या-साध्य विद्या है । ज्योतिष का ज्ञान आज के विज्ञान और विज्ञापन के युग में संसार में सर्वव्यापी हो गया है । फिर भी सफल भविष्यवक्ता बहुत कम इसलिये होते हैं कि उनमें तकनीकी प्रवीणता होने पर भी जितेन्द्रियता नहीं होती है । जो भी ज्योतिष जगत में प्रवेश कर रहे हैं, उनके लिये ज्योतिष का उद्भव, विकास और प्रसार जानना आवश्यक है क्योंकि वेद से इसकी उत्पत्ति हुई, पुराणों में विकास हुआ और 18 ऋषियों ने इसको दिशा दी । ज्योतिष में ही कर्म का रहस्य दिखता है और दर्शाया जा सकता है । इस विषय को समझने के लिये कर्नल गौड तथा डा. मिश्र द्वारा विरचित प्रस्तुत पुस्तक अत्यन्त उपयोगी, सार्थक, विद्वतापूर्ण, विश्लेषण और मौलिक चिन्तन से भरपूर है ।
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