दो शब्दों
सच तो ये है कि मैंने कुछ नहीं लिखा । लेखक होने को तो कल्पना भी नहीं की कभी । हां, शायद एक छोटा सा पाठक और ज्योतिष प्रेमी अवश्य रहा हूं अनेक वर्षों से ।मेरी प्रबल इच्छा थी कि षडवर्ग फल कथन पर कोई ऐसी पुस्तक हो जो षडवर्ग की कुण्डलियो का समुचित फलादेश देने की सामर्थ देती हो । जोतिषचार्य श्री मुकुन्द वल्लभ का 'षडवर्ग फल प्रकाश" कदाचित सर्वोत्तम है किंतु ग्रन्थ संस्कृत भाषा में लिखा होने से कुछ कठिन व दुरूह जान पड़ा । डॉ० शर्मा ने इस पुस्तक आ अग्रेजी अनुवाद अर निश्चय ही ज्योतिष प्रेमियों पर बड़ा उपकार किया कितु हिंदी पुस्तक की खोज फिर थी जारी रही ।
आदरणीय श्री अमृत लाल जैन ने बताया कि 'षडवर्ग फल' पर हिन्दी ने पुस्तक कम से क्रम उनकी जानकारी में तो उपलब्ध नही है । तो क्यो न इसका हिंदी रुपान्तरण किया जाए । जब पुस्तक लिखने की नई समस्या सामने खड़ी हो गई।
उसके बाद जब ये दायित्व मुझे सौपा गया तो मैं भय से कांप उठा । गुरूजन के आशीर्वाद व उनकी कृपा का सहारा लेकर जब कार्य आरंभ किया तब भी अफलत। संदिन्ध व सुदूर जान पडती थी ।
एक दिन मन के कोने मे गुरूदेव के दर्शन पाकर समस्या उनके सामने रखी । वे हंसे बोले"गोपाल की जब होई जो अपना पुरषारथ मानै अति झूठौ है साई - अरे तुम कौन होते हो अनुवाद करने वाले । वह जब कभी जो कुछ चाहेगा वही काम तुरंत कर। लेता से । व्यर्थ के अभिमान में पड़कर फूलना या स्वयं को असमर्थ मान भर भयभीत होना दोनों ही बाते गलत है । तुम तो उसे अपना आम करने दो बस।
आज जब ये सपना सच बन कर आपके हाथ में है तो मन प्रसन्नता से हमने लगा है । पर अपना सच मैं छिपाऊंगा नहीं वह सच तो यही है कि
जो कस किया सो तुम किया मैं कुछ कीन्हा नाहिं ।
यदि पैंने कुछ भी किया, तुम ही थे स्प नाहीं ।
मै कृतज्ञ हूँ अपने सभी मित्र क् सहयोगियों का जिनका स्नेह व सद्विवेक मेरा सहारा व सबल बना। प्राचीन ऋषि मुनियों की साधना जनकल्याण व परोपकार करने की उनकी उत्कृष्ट भावना का, रसास्वादन करने का जो सौभाग्य गुरूकृपा से मुझे मिला उसका आभार प्रकट करना तो मेरे चित्र संभच ही नहीं।
प्रकाशकीय टिप्पणी
''षडवर्ग फलम्'' पुरतक का विमोचन वैष्णो माता के श्री चरणों में हुआ । माता वैष्णो की कृपा विद्वान आचार्यो का आशीर्वाद व ज्योतिष प्रेमियों के स्नेहपूर्ण सहयोग के कारण सभी प्रतियां शीघ्र बिक गयीं । । ये द्वितीय संस्करण सशोधित रूप मे आपके हाथ में है। मन मे इच्छा थी कि सभी षोडश वर्गो का फलादेश नए संस्करण मे । दिया जाए जो कतिपय कारणों रमे सभव नहीं हो पाया ।
मुझे विश्वास है, पाठकी का स्नेह पूर्ववत् मिलता रहेगा तथा वैष्णो कृपा से अगला संस्करण अन्य सभी वर्गो के फलकथन पर पर्याप्त जानकारी देगा ।
ज्योतिष विद्वान, जिज्ञासु छात्र व ज्योतिष प्रेमी बंधुओं के स्नेहपूर्ण सहयोग के लिए मैं उनका हृदय से आभारी व कृतज्ञ हूं।
विषय-सूची
1
मंगला चरण
2
दो शब्द
3
भूमिका
4
5
पुस्तक का उपयोग कैसे करें।
i-xxii
अध्याय-1
विषय प्रवेश
1-8
अध्याय-2
लग्न विचार
9-43
अध्याय-3
होरा विचार
44-61
अध्याय-4
द्रेष्कोण विचार
62-91
अध्याय-5
नवमांश विचार
92-143
अध्याय-6
द्वादशांश विचार
144-157
अध्याय-7
त्रिंशांश विचार
158-177
अध्याय-8
सप्तांश विचार
178-199
अध्याय-9
उदहारण कुंडलियों पर विचार
200-255
अध्याय-10
उपयोगी सूत्र व तालिकाएं
256-316
अध्याय-11
षडवर्ग में घटना समय का विचार
317-335
परिशिष्ट
336-343
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