भौगोलिक सीमाएँ सीमित हो सकती हैं, लेकिन विचार और कार्यों के कारण विश्व में बदलाव असीमित होते हैं। सिंगापुर भी कुछ इसी प्रकार सीमित सीमा वाला छोटा सा देश है, जिसने अपने भौगोलिक विस्तार को नजरअन्दाज करते हुए वैश्विक विस्तार में अपनी अहम भूमिका निभाई है। इस देश में भारतीयों को संख्या भी इसी प्रकार है, वे कुल जनसंख्या में भले ही कम प्रतिशत हैं, लेकिन अपनी उपस्थिति से उन्होंने अपनी छाप बहुत गहरे तक छोड़ी है। इस सीमित जनसंख्या वाला समुदाय भारत की तरह, यहाँ भी उत्तर और दक्षिण दो भागों में बैट जाता है। सिंगापुर के मामले में दक्षिण भारत ज़्यादा हावी है और उत्तर भारत दक्षिण के अलावा समस्त भारत को समेटे हुए अपनी पहचान बनाए है।
सिंगापुर में भारत की जब बात की जाती है, तो दक्षिण भारत और उत्तर भारत दोनों हमें दिखाई देते हैं। दक्षिण भारत अगर 67% है, तो उत्तर भारत 33% से भी कम और वह भी मिला-जुला, लेकिन 33% भी अपनी उपस्थिति दर्ज करा रहा हैं। मैं इस पुस्तक में उत्तर भारतीयों के संदर्भ में ही अपनी बात रख रही हूँ, वह भी खासकर 'हिंदी पट्टी' पर, क्योंकि यह विषय इतना व्यापक है कि उत्तर भारतीयों पर ही दो-तीन पुस्तकें लिखी जा सकती हैं। और जब दक्षिण भारतीयों की बात आती है, तो उस पर तो और अधिक सामग्री तैयार की जा सकती है। भविष्य में अवश्य ही इस पर कार्य होगा, लेकिन इस पुस्तक में सिंगापुर में उत्तर भारतीय और खासकर 'हिंदी पट्टी' वाले लोगों और विषयों पर चर्चा की गई है। किस प्रकार वे आए, किस प्रकार उन्होंने इस देश को अपनाया, किस प्रकार उन्होंने इस देश में कई बदलाव किए, यहाँ की नीतियों से लड़ाई की, अपनी माँगें पूरी करवाई और आज किस स्थिति में पहुँच सके हैं, इन्हीं सब विषयों पर यहाँ चर्चा की गई है। यहाँ बड़ा भाग हिंदी भाषा शिक्षण पर रखा गया है, क्योंकि इतने छोटे से देश में इतनी बड़ी संख्या में विद्यार्थियों द्वारा हिंदी सीखी जा रही है, तो उसे सामने लाना उपयोगी होगा।
इस पुस्तक को दस अध्यायों में विभक्त किया गया है और उनके माध्यम से सिंगापुर में बसे उत्तर भारतीयों के विभिन्न परिप्रेक्ष्यों पर नज़र डालने की कोशिश की गई है। पहला अध्याय सिंगापुर के प्रकाश में आने की कथा को किंवदंतियों से लेकर ऐतिहासिक साक्ष्यों तक के सफर को प्रस्तुत करता है। यह अध्याय ब्रितानी शासन से लेकर आधुनिक सिंगापुर के भी कई पहलुओं को उजागर करते हुए सिंगापुर की कई खूबियों को सम्मुख रखता है।
दूसरे अध्याय में उत्तर भारतीयों के आगमन और परिस्थितियों की बात की गई है। उत्तर भारतीयों को क्यों दो विशेष अलग वर्गों में रखना अधिक समीचीन होगा, इस पर भी चर्चा की गई है।
तीसरा अध्याय हिंदी और हिन्दुस्तानी भाषा की उपस्थिति से प्रारंभ होता है और स्वतंत्रता प्राप्ति के पूर्व सिंगापुर में हिंदी की उपस्थिति की चर्चा करता है।
चौथा अध्याय स्वतंत्र सिंगापुर की द्विभाषा नीति और उत्तर भारत की भारतीय भाषाओं की उपस्थिति की ओर हमारा ध्यान आकर्षित करता है। भाषा शिक्षण सिंगापुर के बहु-प्रजातीय समाज का अभिन्न अंग है और हिंदी भाषा शिक्षण की वर्तमान स्थिति के विषय में यह अध्याय हमें गहरी जानकारी से रू-ब-रू करवाता है।
पाँचवें अध्याय में उत्तर भारतीयों द्वारा स्थापित संस्थाओं और मंदिरों की चर्चा सांस्कृतिक पहलू के बहुआयामी परिदृश्य को दिखाती है।
छठा अध्याय सिंगापुर में साहित्य सृजन पर केंद्रित है। साहित्य सृजन सिंगापुर में किस प्रकार फल-फूल रहा है या अभी भी किसी प्रकार की बाधा से गुजर रहा है, इसका आभास यह अध्याय देता है।
सातवाँ अध्याय मीडिया पर केंद्रित है, जो सिंगापुर में उत्तर भारत से संबंधित प्रसारण सेवाओं की जानकारी और कार्यों पर प्रकाश डालता है।
आठवाँ अध्याय उन रोचक रास्तों की कहानी कहता है जिनका नामकरण भारतीयों या भारत से संबंधित हो। नवें अध्याय में हिंदी शिक्षण और कारोबार जगत से महत्वपूर्ण व्यक्तियों को प्रकाश में लाया गया है। सिंगापुर में भी भारतीयों, खासकर उत्तर भारत का नाम इन लोगों के कारण अधिक चमक रहा है।
दसवाँ अध्याय सिंगापुर के कुछ रोचक तथ्यों की ओर हमारा ध्यान खींचता है। कई ऐसी गतिविधियाँ हैं, जो भले ही इस देश विशेष की हैं, लेकिन इनसे से भारतीयों का किसी न किसी रूप में संबंध है।
पुस्तक में सिंगापुर में उत्तर भारत को इन कुछ पहलुओं के माध्यम से दिखाने का प्रयास किया गया है। जानकारियों का आकाश व्यापक है, तथ्यों का भंडार भी व्यापक है और सभी को एक स्थान पर समेटना लगभग असंभव होता है। कुछ समेटा है लेकिन बहुत कुछ भविष्य से समेटने का स्थान देगा। कुछ बिंदुओं, कुछ पहलुओं पर तथ्यगत जानकारी रखते हुए यही आशा है कि सिंगापुर में उत्तर-भारतीयों के बारे में अधिक लोग जानें, जिनकी उपस्थिति बहुत महत्वपूर्ण है, लेकिन उनकी उपस्थिति पर बहुत कम चर्चा होती है। इस पुस्तक के माध्यम से अद्यतन जानकारी देने और बहुआयामी परिदृश्य दिखाने का प्रयास किया गया है। यह सिंगापुर में भारत और खासकर उत्तर भारत के बारे में जानने का एक प्रयास है, और आशा है यह आगे के कार्यों के लिए उपयोगी साबित होगा।
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