दो पुरुष और एक इतर प्राणी को केन्द्र मानकर चलती इसकी कथा अपने परिवेश से असंपृक्त नहीं रहती | इसमें एक ओर मानवीय प्रेम, अस्मिता तथा स्वतन्त्रता का संघर्ष है तो दूसरी ओर व्यस्था का निरंकुश अमानवीय चरित्र उद्घाटित होता है| कुल मिलाकर तीन प्राणियों को केंद्र मानकर चलने के बावजूद यह कृति आत्मकथात्मक न होकर बीसवी शताब्दी के भारत की महागाथा है | विविधआयामी यथार्थ चरित्रों के माध्यम से विमल मित्र एक ऐसा संसार रचते है, जिसमे प्रेम और वितृष्णा एकसाथ उत्पन्न होते है |
For privacy concerns, please view our Privacy Policy
Send as free online greeting card
Email a Friend
Manage Wishlist