लेखक परिचय
डॉ. देवेन्द्र जैन ने ऐलोपैथिक चिकित्सा प्रणाली में जयपुर के सवाई मानसिंह मेडिकल कॉलेज से स्नातक (M.B.B.S.) की डिग्री ली और बाद में स्नातकोत्तर परीक्षा भी पास की ।
अपने चिकित्सा जीवन के दौरान इन्हें अनुभव हुआ कि आधुनिक चिकित्सा प्रणाली की अपनी कुछ खामियाँ हैं, कुछ सीमाएँ हैं । ये शरीर के अंगों का अलग अलग इलाज करती हैं गोया ये अंग अपने आप में सम्पूर्ण शरीर का एक हिस्सा न होकर एक स्वतंत्र इकाई हों । मनुष्य का शरीर विभिन्न अंगों या हिस्सों का एक संगठन मात्र ही तो नहीं है । वह एक सम्पूर्ण इकाई है और विभिन्न अग और सस्थान एक दूसरे से प्रभावित होते हैं और इनमें अन्तर्निर्भरता होती है । हमारी सिर्फ शारीरिक ही नहीं, भावनात्मक, मानसिक, चारित्रिक व आध्यात्मिक आवश्कताएँ भी होती हैं । कोई भी चिकित्सा पद्धति इन्हें अनदेखा करके सम्पूर्णता कादावा नहीं कर सकती ।
डॉ. देवेन्द्र जैन ने कई अन्तर्राष्ट्रीय सम्मेलनों में भाग लिया है और कई अन्तर्राष्ट्रीय संस्थानों के सम्मानित फैलो भी हैं । आपने परा मनोविज्ञान अतीन्द्रिय शक्तियों, असामान्य घटनाओं, प्राचीन संस्कृतियों के रहस्यमय विज्ञानों, अतीत की लुप्तप्राय उन्नत तकनीकों और आधुनिक विज्ञान के सन्दर्भ में खोज में बहुत समय बिताया है । आप अमेरिकन एसोसिएशन ऑफ प्रोफेशनल हिप्नोथेरापिस्ट्स के सम्मानित फैलो है
प्रस्तावना
आधुनिक चिकित्सा प्रणाली मुख्यत लाक्षणिक (Symptomatic treatment) चिकित्सा प्रणाली है । बीमारी के कारणों और बीमारी को ठीक करने के बजाय यह सिर्फ बीमारी से पैदा होने वाले लक्षणों और उपद्रवों को दबा देती है । यह तो ऐसा ही हुआ जैसे किसी बन्द मकान में आग लगने पर धुआँ रोशनदानों, खिड़कियों और दरवाजों से निकलते देख कर, बजाए अन्दर के आग बुझाने के, जिसकी वजह से धुआँ निकल रहा है, उन दरवाजों और रोशनदानों को सीमेण्ट से चिनकर बन्द कर दिया जाए । थोड़ी देर के लिए झूठी तसल्ली तो हो जायेगी कि चलो सब कुछ ठीक हो गया । लेकिन अन्दर ही अन्दर सब कुछ जलकर राख हो चुका होता है।
ठीक यही हालत इस लाक्षणिक चिकित्सा से होती है । एक बीमारी ठीक होती है, तो अन्य कई नई बीमारियाँ परेशानियाँ पैदा हो जाती हैं । आधुनिक दवा विज्ञान में उन्हें साइड इफेक्ट का नाम दिया गया है । आप किसी भी नई से नई दवा का साहित्य (लिटरेचर) उठाकर उनसे होने वाले साइड इफेक्ट्स की एक लम्बी फेहरिस्त देख लीजिए जिसमें ब्लड कैंसर से लेकर कस्मिक मौत तक का वर्णन होता है । ऐसी लिस्ट या फेहरिस्त देखकर आप अपनी बीमारी ज्यादा पसन्द करने लग जायेंगे, बजाय दवाइयों के । रेकी, प्राणिक हीलिंग, एक्युप्रेशर, एक्यूपक्चर जैसी ऊर्जा सन्तुलन की चिकित्सा पद्धतियों में ऐसा नहीं होता । ये निरापद चिकित्सा पद्धतियाँ हैं, सुरक्षित हैं और प्रभावकारी भी ।
सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड और अन्तर्नक्षत्रीय आकाश में व्याप्त जीवन ऊर्जा (रेकी) का अस्तित्व है. यह एक परम सत्य है और किसी के मानने न मानने से कोई फर्क नहीं पड़ता । ठीक उसी तरह जैसे ऑक्सीजन की खोज होने से पहले भी वातावरण में ऑक्सीजन विद्यमान थी और सभी प्राणी और पेडू पौधे उसकी खोज से पहले भी उसका उपयोग कर रहे थे ।
रेकी के अनुभव आपके व्यक्तिगत अनुभव होते हैं और वे इस बात पर निर्भर करते हैं कैं आप आध्यात्मिक विकास की सीढ़ी पर कहाँ तक पहुँचे हैं? किन्हीं भी दो व्यक्तियों के अनुभव एक से हों, यह आवश्यक नहीं है ।
रेकी के विषय में हिन्दी में मौलिक साहित्य का काफी अर्से से अभाव महसूस किया जा रहा था उसी अभाव को दूर करने का यह एक छोटा सा प्रयास है । आप इस पुस्तक को पढ़कर रेकी वाहक तो नहीं बन सकते क्योंकि उसके लिये आपको रेकी मास्टर से रेकी प्रशिक्षण और दीक्षा/शक्तिपात (attunement) लेना होता है, किन्तु फिर भी यदि यह पुस्तक रेकी के सम्बन्ध में आपकी जिज्ञासाओं का अश मात्र भी समाधान करती है तो मैं अपने इस प्रयास को सार्थक समझूँगा ।
विषय सूची
1
आस्था के आयाम
2
रेकी चिकित्सा क्यों
3
हमारे ज्ञान की सीमाएँ
8
4
प्राचीन भारत में वैज्ञानिक प्रगति
10
5
रेकी क्या है?
13
6A.
रेकी वैज्ञानिक अथवा अवैज्ञानिक
16
6B.
रेकी की खोज कैसे हुई?
18
7
रेकी कैसे सीखी जाती है?
20
रेकी से क्या फायदे हैं?
26
9
रेकी के नियम
27
रेकी से चिकित्सकीय व अतीन्द्रिय अनुभव
36
11
कुछ पत्र रेकी प्रशिक्षण और चिकित्सा के दौरान हुए अनुभव
41
12
आभामण्डल
45
ऑरा स्केनिंग
47
14
ऑरा शुद्धिकरण प्रक्रिया
49
15
चक्र
51
ध्यान का विज्ञान
65
17
मानसिक एकाग्रता कैसे बढ़ाएँ?
71
रेकी चिकित्सा में सहायक कुछ साधनाएँ
79
19
रंगों का ध्यान
83
रेकी से चिकित्सा
84
21
रेकी चिकित्सा के लिए व्यावहारिक सुझाव
103
22
रेकी चिकित्सा के लिए आवश्यक जानकारी
105
23
रेकी चिकित्सा से सम्बन्धित महत्वपूर्ण दिशा निर्देश
107
24
रेकी चिकित्सा के लिए प्रक्रिया
109
25
अलग अलग बीमारियों के लिए रेकी चिकित्सा की तकनीक
111
रेकी जल
115
जादू भरे क्रिस्टल
117
28
रेकी से सम्बन्धित सवाल और उनके जवाब
119
29
रेंकी के प्रतीक चिन्ह (सिम्बल्स)
126
30
मानसिक तनाव से कैसे बचें
136
31
कुछ सलाह एव सावधानियाँ
142
32
जिन्दगी में खुशियाँ लाने के लिए सुझाव
145
33
रेकी चिकित्सा के दौरान आहार, व्यवहार और विचार
146
Hindu (हिंदू धर्म) (12711)
Tantra (तन्त्र) (1023)
Vedas ( वेद ) (708)
Ayurveda (आयुर्वेद) (1906)
Chaukhamba | चौखंबा (3360)
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