पुस्तक के विषय में
गीता का उपदेश इसलिए विलक्षण और दिव्य है, क्योंकि इसका उपदेश श्रीकृष्ण ने अर्जुन को युद्धभूमि में उस समय दिया, जब दो सेनाएं युद्ध के लिए आमने सामने खड़ी थी |
जीवन भी तो एक रणक्षेत्र है | गृहस्थ के सामने अकसर ऐसी स्तिथियाँ आ जाती है, जब वह निश्चित नही कर पता की उसे क्या करना चाहिए | उस समय उसे आवश्यकता होती है एक ऐसे गुरु की, जो उसके मन की तराजू को संतुलित रखने की सही और सरल विधि बता सके |
पुस्तक को पड़ने के बाद आप जान सकेंगे सद्गृहस्थ के जीवन का लक्ष्य और यह भी की अपने विभिन्न कर्तव्यों का पालन करते हुए उस लक्ष्य को कैसे प्राप्त किया जा सकता है |
सामान्य रूप से पड़ने पर आपको इसके पन्नों पर कुछ विशेष नही लगेगा, लेकिन जब आप इसके सूत्रों को व्यव्हार में लाएंगे, तो महसूस होगा कि सुख शांतिमय जीवन के लिए आपको ऐसी ही पुस्तक की आवश्यकता थी | इस पुस्तक को आप श्रीमद्भगवद्गीता की ही एक 'प्रेक्टिकल गाइड' कह सकते है |
Hindu (हिंदू धर्म) (12696)
Tantra ( तन्त्र ) (1024)
Vedas ( वेद ) (708)
Ayurveda (आयुर्वेद) (1906)
Chaukhamba | चौखंबा (3360)
Jyotish (ज्योतिष) (1467)
Yoga (योग) (1097)
Ramayana (रामायण) (1382)
Gita Press (गीता प्रेस) (733)
Sahitya (साहित्य) (23187)
History (इतिहास) (8270)
Philosophy (दर्शन) (3393)
Santvani (सन्त वाणी) (2591)
Vedanta ( वेदांत ) (120)
Send as free online greeting card
Email a Friend
Manage Wishlist