लेखक परिचय
प्रथम उपन्यास "स्वाधीनता के पथ पर" से ही ख्याति की सीढ़ियों पर जो चढ़ने लगे की फिर रुके नहीं | विज्ञान की पृष्ठभूमि पर वेद, उपनिषद् दर्शन इत्यादि शास्त्रों का अध्ययन आरम्भ किया तो उनको ज्ञान का अथाह सागर देख उसी में रम गए | वेद, उपनिषद् दर्शन शास्त्रों की विवेचना एवं अध्ययन अत्यंत सरल भाषा में प्रस्तुत करना गुरुदत्त की ही विशेषता है | उपन्यासों में भी शास्त्रों का निचोड़ तो मिलता ही है, रोचकता के विषय में इतना कहना ही पर्याप्त है की उनका कोई भी उपन्यास पढ़ना आरम्भ करने पर समाप्त किये बिना छोड़ा नही जा सकता |
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