सन् 1979 से प्रो. गुप्त गणित भारती (ISSN 0970-0307) नाम की पत्रिका का सफल सम्पादन कर रहे हैं। इन्होंने भारतीय गणित पर लगभग 400 लेख प्रकाशित करके उसका देश-विदेश में प्रचार और प्रसार किया। सन् 1995 में प्रो. गुप्त को अन्तर्राष्ट्रीय अकादमी ऑफ वैज्ञानिकी-इतिहास का सदस्य चुना गया और 1996 में भारतीय विज्ञान परिषद् ने उनको डिस्टिंग्विस्ड सर्विस अवार्ड से सम्मानित किया।
राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद् बच्चों में अध्ययन की क्षमता व रुचि दोनों का ही विकास करने के लिए सदा तत्पर रही है और समय-समय पर इस क्षेत्र में विभिन्न प्रयास व नए-नए प्रयोग करती रहती है। पाठ्यक्रम में निर्धारित पुस्तकों के प्रकाशन से भिन्न परिषद् ने बच्चों में अध्ययन प्रवृत्ति के विकास के लिए समय-समय पर पूरक अध्ययन सामग्री तथा उसके अंतर्गत प्रयोगात्मक स्तर पर कई पुस्तक-मालाएँ व परियोजनाएँ शुरू की है। इन सभी प्रयासों का मूल उद्देश्य है बच्चों का पुस्तकों से परिचय करना।
इस दिशा में मेरा प्रयास रहा है कि विज्ञान के विभिन्न विषयों के जाने-माने विद्वानों को इस सराहनीय कार्य के लिए निमंत्रित कर सकूँ। ऐसा मेरा विश्वास है कि खोज और अनुसंधान की आनंदपूर्ण अनुभूतियों वाले वैज्ञानिक ही अपने आनंद की एक झलक बच्चों तक पहुँचा सकते हैं। मैं उनका हृदय से आभारी हूँ कि उन्होंने अंकुरित होने वाली पीढ़ी के लिए अपने बहुमूल्य समय में से कुछ क्षण निकालने का प्रयास किया। बालक राष्ट्र की सबसे बहुमूल्य और महत्वपूर्ण निधि है और मेरे लिए यह किंचित आश्चर्य और संतोष की बात है कि हमारे इतने लब्धप्रतिष्ठ और अत्यंत व्यस्त वैज्ञानिक बच्चों के लिए थोड़ा परिश्रम करने के लिए सहर्ष मान गए है। में सभी वैज्ञानिक मित्रों के लिए हृदय से आभारी हूँ।
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