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हिंदू बनाम ब्राह्मण पुनर्जागरण आंदोलन: Hindu Banam Brahaman Punarjagran Andolan

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Specifications
HBH415
Author: Radheshyam Sharma
Publisher: Prakhar Goonj Publications, Delhi
Language: Hindi
Edition: 2024
ISBN: 9788196976200
Pages: 103
Cover: PAPERBACK
10.0x8.0 inch
242 gm
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Book Description
लेखक परिचय

12 जुलाई 1957 को जन्में राधेश्याम शर्मा गाँव हरेवली, दिल्ली के मूल निवासी हैं। दिल्ली पुलिस में चालीस साल की उत्तम सेवा के चाद 30 जून 2018 को मिनिस्ट्रियल कैडर के इंस्पेक्टर पद से सेवानिवृत्त हुए। सेवानिवृति के दिन उन्होंने सेवानिवृति के बाद मिले लाखों रुपये के फंड को प्रधान मंत्री सुरक्षा राहत कोष, शहीद परिवार फंड, गुरुकुल, मन्दिर, विक्लांगों, बीमारों, गरीबों, विधवाओं, असहाय लोगों में वितरित और दान कर दिया। इन्होंने कई बार रक्तदान किया और मरणोपरांत नेत्रदान की भी घोषणा की जिसकी बजह से इंडियन रेड क्रॉस सोसाइटी ने इन्हें अपना आजीवन सदस्य बनाया।

दिल्ली पुलिस में तैराक, लेह लद्दाख की दुर्गम यात्राओं और साहसिक खेलों में भाग लेने की वजह से इन्हें साहसिक आदमी के रूप में पहचान मिली। इन्होंने सेवाकाल में कई बार भारत भ्रमण किया और विभिन्न विषयों और यात्राओं पर संस्मरण लिखे जो कई सारे अखबारों और पत्रिकाओं में छपते रहे। वे अपने सरकारी काम को भी उतने ही जज्बे से लिखते और अपने लेखन से गाँधी की तरह सत्य के प्रयोग भी करते थे। वे जितना प्रशासनिक काम को महत्व देते थे उतना ही फिल्ड वर्क पर भी नजर रखते थे जिसकी वजह से उन्हें "असाधारण कार्य पुरस्कार भी मिला जो आमतौर पर किसी मिनिस्ट्रियल कैडर के अधिकारी को नहीं मिलता।

सामाजिक सेवा के कार्यों में उनकी बचपन से ही बेहद रुचि रही। भूकंप पीड़ितों की सेवा के लिए वे गढ़वाल हिमालय तक गए। दिल्ली और अपने गाँव में सामाजिक और साँस्कृतिक गतिविधियों को बढ़ावा देने के लिए "विजिलैंट सिटीजंस" नामक संस्था पंजीकृत करा कर समाज सेवा के कार्यों का एक कीर्तिमान स्थापित किया जो यहां कुछ शब्दों में लिखना सम्भव नहीं। सामाजिक जागरुकता बढ़ाने के लिए इन्होंने दिल्ली मंडी हाऊस के मशहूर कला केंद्रों में नाटक मंचनों का भी सहारा लिया। "कुआं काराज का" नाटक में इन्होंने एक ईमानदार मुख्यमंत्री की भूमिका निभा कर काग़ज़ों में बने कुएं का भंडाफोड़ कर भ्रष्टाचार पर प्रहार किया। इसी तरह के एक अन्य नाटक "अधूरा अफ़साना" के माध्यम से इन्होंने प्रकाशकों द्वारा ख्यातनाम लेखकों के शोषण की तरफ समाज का ध्यान आकर्षित करवाया। दोनों ही नाटकों की प्रिंट मीडिया ने शानदार कवरेज दी। अपने विचारों और संस्था द्वारा किए कार्यों को प्रसारण करने के लिए वर्षों "महापंचायत" नाम से बवाना से एक मासिक समाचार पत्र का भी प्रकाशन किया। अपने हरेवली गाँव को समाचारों की दुनिया से जागृत रखने के लिए "हरेवली टाइम्स" की स्थापना और संपादन भी किया।

अब ब्राह्मणों की दयनीय स्थिति का उद्धार करने के लिए "हिंदू बनाम ब्राह्मण पुनर्जागरण आंदोलन" के दौरान महर्षि दधीचि की तरह अपनी हड्डियों को भी दान करने की घोषणा कर अपने जीवन की अंतिम पारी खेल रहे हैं।

इनके पिता पंडित छतर सिंह भी अपने समय के स्थानीय स्तर के अच्छे पहलवान थे। वे भी धार्मिक और परोपकारी भावना के व्यक्ति थे। वे देशी हड्डी रोग विशेषज्ञ थे लेकिन निशुल्क सेवा करते थे।

About The Book

आज हिंदू सनातन धर्म और ब्राह्मण की जो दशा और दुर्दशा देखने में आ रही है वैसी ही दुर्दशा आज से लगभग डेढ़ हजार वर्ष पूर्व जब हिंदुस्तान में बौद्ध और जैन धर्म का बोलबाला था देखने में आती थी। उस वक्त बौद्ध और जैन धर्मावलम्बी जिस तरह से हिंदू सनातन धर्म और ब्राह्मणों का उपहास उड़ाते थे वैसी ही स्थिति आज एक बार फिर से बनी हुई है। तब आज से लगभग ग्यारह सौ वर्ष पूर्व आदि शंकराचार्य ने बौद्धों, जैनों और विधर्मियों को शाखार्थ में परास्त कर हिंदू सनातन धर्म का पुनरुद्धार किया था। आज हिंदुस्तान के चारों पीठ स्थापित हैं वे आदि शंकराचार्य की ही देन है। इन चारों पीठों पर परंपरा से विद्वान् ब्राह्मण पदस्थापित होते रहते हैं जिन्हें जगदुरु शंकराचार्य कहा जाता है। मुसलमानों के इस्लामिक राज और अंग्रेज ईसाई काल में हिंदू सनातन धर्म विद्या के अभाव, कुरीतियों, पाखंडों और आडम्बरों की वजह से एक बार फिर धर्म च्युत हुआ तब आज से डेड़, दो सौ वर्ष पूर्व राजा राम मोहन राय, स्वामी दयानन्द सरस्वती और स्वामी विवेकानंद जी ने ब्रह्म समाज, आर्य समाज और परमहंस मिशन की स्थापना कर धार्मिक सुधार के कार्य किए लेकिन आज एक बार फिर हिंदू सनातन धर्म, आर्य समाज, ब्रह्म समाज और परमहंस रामकृष्ण मिशन की विचारधाराओं में कुछ विरोधाभास होने की वजह से हिंदू धर्म और ब्राह्मण उपहास का पात्र बना हुआ है। इस देश और धर्म के निर्माण में ब्राह्मणों का अमूल्य योगदान होते हुए भी आज ब्राह्मण और हिंदू धर्म बाराबाट और दुर्गति का शिकार है। दुनिया के सबसे नए धर्म सिख धर्म में आप शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबन्धक कमेटी देख सकते हैं लेकिन हिंदू धर्म दुनिया का सबसे प्राचीन धर्म होने के बावजूद वहां कोई शिरोमणि प्रवन्धक कमेटी देखने में नहीं आती। आर एस एस की विच मोदी परिषद ने ब्राह्मणों और जगद्गुरु शंकराचार्यों की चार धाम व्यवस्था को भी हाईजैक कर लिया है। इन सब बातों को

ध्यान में रखते हुए "हिंदू बनाम ब्राह्मण पुनर्जागरण आंदोलन" एक विवेचनात्मक पुस्तक ही नहीं एक नवंबर 2023 से हिंदू और ब्राह्मणों को जागृत करने के लिए एक आन्दोलन खड़ा हो गया है। इस पुस्तक के पढ़ने से हिंदू सनातन धर्म, आर्य समाज, ब्रह्म समाज, रामकृष्ण परमहंस मिशन, हिन्दू और ब्राह्मण को पुनर्जीवन ही नहीं इस आंदोलन से नई समावेशी प्रबंधन की राह मिलेगी ऐसा मेरा विधास है।

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