आदिकाल में भी यात्रा का अधिक महत्व था। लेखक एक दूसरे देश में घूमा करते थे, और अपने अनुभव को घूम-घूम कर लोगों को बताया करते थे। नौका यात्रा की एक होड़ लग गई थी। नीका से एक-दूसरे देश को ढूंढने, भ्रमण करने का प्रचलन था। इस यात्रा में लेखक एक-दूसरे संस्कृति से परिचित होते थे शिक्षा व धर्म का प्रचार-प्रसार करते थे, अपने अनुभव को पुस्तक में सैंजोते थे। मुख्य यात्री थे- अलबरूनी, इब्नबतूता, अमीर खुसरो, फाहियान, मार्कोपोलो, सेल्यूकस निकेटर आदि। विदेशी यात्रियों- 'फाहियान', 'स्वेणसांग' इत्यादि ने भी अपने यात्रा विवरण प्रस्तुत किए हैं।
उनके यह विवरण ज्ञान के भंडार तो कहे जा सकते हैं, पर यात्रा साहित्य नहीं। संस्कृत साहित्य में 'कालिदास' और 'बाणभट्ट' के साहित्य में भी आंशिक रूप से यात्रा वर्णन मिलता है। ऐसे विवरणों में लेखक के व्यक्तित्व की अभिव्यक्ति बहुत कम हो पाती है। वह एक तटस्थ दृष्टा के रूप में देखता है और लिख देता है। प्रकृतिगत विशेषताएं प्रतिबिंबित हो उठती है, यही कारण है कि आधुनिक यात्रा साहित्य का विकास शुद्ध निबंधों की शैली से माना जाता है। निबंध शैली में व्यक्ति परखता, स्वच्छंदता, आत्मीयता आदि गुण यात्रा-साहित्य में पाए जाते हैं। यात्रा-साहित्य विविध शैलियों में लिखा जाता है जो विविध रूपों में पाया जाता है। कुछ यात्रा साहित्य ऐसे होते हैं जिनका उद्देश्य विभिन्न देशों या स्थानो का विस्तृत परिचय देना होता है।
मानव के विकास यात्रा की कहानी उसके विकास की कहानी है। विकास यात्रा में उसने न जाने किन किन स्थलो, जंगलों की खाक छानी होगी। कितने जगहों पर उसने अपना ठिकाना बनाया होगा, न जाने कितनी बार उजड़ा बसा होगा लेकिन शायद कलम बद्ध नहीं हुआ था। इसलिए ये यात्राएं श्रुति परंपरा में हम सबके बीच मौजूद है। यह यात्राएं राजा-रानी की यात्रा से लेकर आम साधारण व्यक्ति की यात्रा भी है।
यात्रावृत्त अकाल्पनिक गद्य विघा है। इसमें यात्राकार सामना की गई परिस्थितियों के यथार्थ अंकन का प्रयास करता है। हालाँकि कलात्मक अभिव्यक्ति होने के कारण कल्पना से नकारा नहीं जा सकता परन्तु यात्रावृत्त में चित्रित प्रत्येक दशा यात्राकार की निजी अनुभूति होती है, अनुभूतियों को वह यथातथ्य सिद्ध कर सकता है। कल्पना का संयोग उसे रोचक बना देता है। लेखक की भावनाएँ उस परिवेश और वहाँ के मनुष्य की जीवनगत संवेदना को आत्मसात करती है, वह यात्रावृत्त मानों वहाँ का मानवीय इतिहास हो। जिसमें घटनाओं के साथ साथ व्याक्तिचेतना, संस्कार, सांस्कृतिक जीवन, सामाजिक और आर्थिक क्रियाएँ, राजनीतिक और भौगोलिक स्थितियाँ, विचार तथा धारणायें समाहित होती हैं।
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