दिल एक सादा काग़ज़ एक तरह आधा गाँव, से बिलकुल अलग है! यह आधा गाँव, टोपी शुक्ला, हिम्मत जौनपुरी और ओस की बूँद के सिलसिले की कड़ी है भी और नहीं भी है ! दिल एक सादा काग़ज़' ज़ैदी विला' के उस भूत की कहानी है जिसके कई नाम थे-रफ़्फ़न, सय्यद अली, रफ़लत ज़ैदी बाग़ी आज़मी! और यह ज़ैदी विला, ढाका और बंबई के त्रिकोण की कहानी है! यह कहानी शुरू हुई तो ढाका हिंदुस्तान में था !
फिर वह पूरबी पाकिस्तान में होने लगा ! और कहानी के ख़त्म होते-होते बांग्ला देश में हो गया ! एक तरह से यह ढाका की इस यात्रा की कहानी भी है हालाँकि ढाका इस कहानी में कहीं नहीं है! पहले वहाँ से ख़त आना शुरू होते हैं और फिर रिफ्यूजी, बस!
दिल एक सादा काग़ज़ बंबई के उस फ़िल्मी माहौल की कहानी भी है जिसकी भूलभुलैया आदमी को भटका देती है ! और वह कहीं का नहीं रह जाता ! नए अंदाज और नए तेवर के साथ लिखा गया एक बिलकुल अलग उपन्यास!
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