पुस्तक के विषय में
इस पुस्तक के लेखक श्री वी.डीं गंगल का जन्म 1913 में हुआ था । उन्होंने एलफिंस्टन कॉलेज, बम्बई में शिक्षा पाई और वहीं 'दक्षिण फैलो' की हैसियत से दो वर्ष तक काम किया । एक अन्य विद्वान के सहयोग से उन्होंने भास के प्रसिद्ध नाटक 'स्वप्नेंवासवदत्तम्' और बाण की 'कादम्बरी' के एक अंश की आलोचनात्मक व्याख्या प्रकाशित की है । श्री गंगल ने 'भर्तृहरियम्' नाम से संस्कृत में भी एक नाटक लिखा है, जिसमें नीति, श्रृंगार और वैराग्य शतक के रचयिता भर्तृहरि का चरित्र दर्शाया है। प्रस्तुत पुस्तक में लेखक ने हर्ष के असाधारण व्यक्तित्व को बड़ी कुशलतापूर्वक उभारा है।
अनुक्रम
1
प्रवेश
2
प्रारंभिक जीवन
5
3
हर्ष की दिग्विजय
12
4
हर्ष का शासन
24
हर्ष की धार्मिक आस्था
38
6
कवि और साहित्य-संरक्षक के रूप में
52
7
हर्ष की मृत्यु और उसके बाद
73
Hindu (हिंदू धर्म) (12711)
Tantra (तन्त्र) (1023)
Vedas (वेद) (707)
Ayurveda (आयुर्वेद) (1906)
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