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गुरु कुम्हार सिष कुम्भ है: Guru Kumhar Sisya Kumabh Hai

$32
Specifications
HAF555
Author: Balraj Pandey
Publisher: HANS PRAKASHAN, DELHI
Language: Hindi
Edition: 2024
ISBN: 9788197312557
Pages: 173
Cover: HARDCOVER
9x6 inch
332 gm
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Book Description
पुस्तक परिचय

हिंदी में शताधिक वर्षों से संस्मरण लिखे जा रहे है। श्रद्धा-भक्ति समन्वित प्रारम्भिक रचनाओं से लेकर इधर अर्द्धशताब्दी में घर-परिवार स्वजन-परिजन और मानवेतर प्राणियों पर भी संस्मरण लिखे गए हैं।

गौर करें तो स्वादिष्ट जायकेदार गद्य में, हास-परिहास से भरपूर और कहीं छल-कपट से लिखित चंट चालाक संस्मरणों की आमद से हिंदी समृद्ध हुई है। संस्मरण-व्यक्ति घटना-परिवेश कहीं से भी जुड़े हो सकते हैं। उनकी विषय वस्तु जीवन के किसी क्षेत्र की हो सकती है। चयन लेखक के विवेक पर निर्भर है।

निर्मल मन से निश्छल गद्य में लिखित बलराज पांडेय के ये संस्मरण 'गुरु-शिष्य परम्परा' की उज्ज्वल मिसाल है। बनारस के केंद्रीय विश्वविद्यालय बीएचयू में बलराज पांडेय पहले शिष्य फिर गुरु के रूप में प्रतिष्ठित रहे। वे बलिया जनपद से आते हैं जहाँ की स्वाभिमानी विद्रोही चेतना विख्यात है।

बीएचयू हिंदी विभाग के अग्रज गुरुजनों फिर वहीं नियुक्त होने पर साथी गुरुजनों की अपनी यादों को बलराज पांडेय ने हार्दिक सरलता से व्यक्त किया है। इनमें भोलाशंकर व्यास, शिवप्रसाद सिंह, बच्चन सिंह, काशीनाथ सिंह, रामनारायण शुक्ल, चौथीराम यादव को वे सुयोग्य शिक्षक, सफल रचनाकार और श्रेष्ठ मनुष्य की कसौटी पर खरा पाते हैं।

नामवर सिंह, चन्द्रबली सिंह की गहन अध्ययनशीलता के साथ आलोचना की तलस्पर्शिनी उनकी प्रतिभा को बलराज पांडेय अनेक रोचक प्रसंगों से रेखांकित करते हैं। प्राध्यापक लेखक कृष्ण बिहारी मिश्र कलकत्ते (कोलकाता) में आजीवन रहे पर जनपदीय जुड़ाव से बलराजजी उनके स्नेहभाजन रहे।

लेखक परिचय

बलराज पांडेय

जन्म : 9 मार्च, 1950 बलिया जनपद, उ.प्र. के वाजिदपुर (रामपुर) गांव में। इंटरमीडिएट तक की शिक्षा महात्मा गांधी इंटर कॉलेज, दलनछपरा, बलिया से। बी.ए., एम.ए. (हिन्दी) तथा पीएच.डी. काशी हिन्दू विश्वविद्यालय, वाराणसी से। सनब 1977 से सात वर्षों तक सतीशचंद्र कालेज, बलिया में अध्यापन । फरवरी 1984 से काशी हिन्दू विश्वविद्यालय में अध्यापन । मार्च 2015 में अध्यापन से अवकाश ग्रहण।

प्रकाशित पुस्तकें - 1. कहानी आंदोलन की भूमिका (समीक्षा) 2. लोग शरमाना भूल गये हैं (कविता संग्रह) 3. डायरी में साहित्य (डायरी) 4. साहित्य की डायरी 5. आना भी एक खौफनाक क्रिया है (कविता संग्रह) 6. स्मृतियों की बस्ती में (संस्मरण) 7. ज्ञानगढ़ की लड़ाई (कहानी संग्रह)

निवेदन

गुरु कुम्हार सिष कुंभ है' संस्मरण की मेरी दूसरी पुस्तक है। इसमें मैंने उन गुरुजनों और आत्मीय महानुभावों को याद किया है, जिनसे अपने जीवन में मैं सर्वाधिक प्रभावित रहा हूं। उन्हीं के सान्निध्य में साहित्य के प्रति मेरे मन में थोड़ी-बहुत रुचि जगी। मुझे लगा कि उनके करीब रहकर जो मैंने अनुभव प्राप्त किये हैं. उन्हें लिपिबद्ध कर देना चाहिए। यह पुस्तक उसी का सुपरिणाम है। समय-समय पर ये संस्मरण आलोचना, प्रसंग, अक्सर, सबलोग, परिवेश, पक्षधर, चौपाल, लोकचेतना, वार्ता आदि पत्रिकाओं में छप चुके हैं। इसके लिए श्रद्धेय नामवरजी को नमन करते हुए सर्वश्री शंभु बादल, बलभद्र, सूरज पालीवाल, किशन कालजयी, मूलचंद गौतम, विनोद तिवारी, कामेश्वर प्रसाद सिंह और रविरंजन के प्रति मैं हार्दिक आभार व्यक्त करता हूं। इस पुस्तक को प्रकाशित कराने में शत्रुघ्न मिश्र की बड़ी भूमिका है। उन्होंने प्रकाशन हेतु न मुझे प्रेरित किया, बल्कि हर बाधा को दूर करने का साहस दिखाया। समय-समय पर उमेश गोस्वामी और अक्षत पांडेय का भी मुझे पर्याप्त सहयोग मिला। इन सभी मित्र-विद्यार्थियों को मैं हृदय से धन्यवाद देता हूं।

हंस प्रकाशन के प्रबंधक हरीन्द्र तिवारी ने इस पुस्तक को प्रकाशित करने के लिए दिलचस्पी दिखाई, इसके लिए उनके प्रति भी आभार।

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