रवि बाबू के इन गीतों में दिव्य भावनाओं की सुगन्धित बयार है और झोंकों में इतनी सरलता है कि वे अबोध शिशु की तरह लगते हैं। ये गीत मानव-मन को बहुत गहरे तक प्रभावित कर उसे तरोताज़ा करते हैं और अंधेरे कोनों में रोशनी का सैलाब उमड़ा देते हैं।
दिव्य आलोक से रचे-बसे ये गीत गुरुदेव की काव्य रचने की क्षमता को इस तरह सामने लाते हैं कि पाठक आत्म-मुग्ध हो उठता है।
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