इस देश के जनमानस में पुण्य सलिला पतित पावन भगवती गंगा के प्रति गहरी आस्था और अतिशय श्रद्धा भरी हुई है। वास्तव में मानव जीवन जल और जल-धारा से इतना अधिक जुड़ा हुआ है कि जल के बिना जीवन की कल्पना भी नहीं की जा सकती। जल, जीवन का स्त्रोत ही नहीं, जीवन का आधार और केन्द्र-बिन्दु है।
जीवन में जितनी भी सरलता और सम्पन्नता है उसके मूल में अजस्र जल-प्रवाह विद्यमान है इसलिए हम यह पाते हैं कि बड़े-बड़े नगरों और घनी बस्तियों का विस्तार नदियों के किनारे या उसके समीप के भू-भाग पर होता चला गया है।
यों तो इस देश की सभी नदियां पवित्र और पूज्य मानी गई हैं, किन्तु भगवती गंगा की अपनी विशेष महत्ता और उपादेयता है। सच तो यह है कि भारतीय संस्कृति का मूल, इसका उद्भव और विकास गंगा-तट और इसके इर्द-गिर्द ही हुआ है। इसलिए पुराणों में इसकी स्तुति और इसकी महिमा का कितना विस्तार है और जनमानस में यह धारणा अत्यन्त गहराई में उतरी हुई है कि इसके पवित्र जल का स्पर्श मात्र पतित से पतित जीव के उद्धार में समर्थ है।
गंगा-तट पर अवस्थित अनेक तीर्थ-स्थलों पर प्रभु-भक्ति और सत्संग की अविरल धारा भी बहती रहती है। किन्तु विशेष पर्वो पर सुदूर क्षेत्रों से संत-महात्मा और अपार संख्या में श्रद्धालु भक्त विशेष तीर्थ-स्थलों पर पधारते हैं। गंगा-स्नान के साथ ये पर्व जुड़े होते हैं। कतिपय भाग्यशाली सच्चे जिज्ञासु इन पावन पर्यो पर सत्संग-गंगा में भी स्नान का लाभ उठाते हैं और मानव-जीवन के चरम, लक्ष्य, आत्मानुभूति और आत्म-कल्याण की ओर अपनी जीवन-धारा को मोड़ने में सफल होते हैं। वास्तव में वही इस परम पावन जल स्त्रोत के महात्म्य को हृदयंगम कर पाते हैं। गंगा-दशहरा का पावन पर्व भी ऐसा ही एक पर्व है।
परमाराध्या माता श्री राजराजेश्वरी देवी के विशेष आदेश व सद्गुरुदेव श्री सतपाल जी महाराज की प्रेरणा व निर्देश से इस लघु पुस्तिका का प्रकाशन गंगा-वशहरा के इस पावन पर्व पर किया जा रहा है। आशा है प्रेमी भक्त इस लघु पौराणिक कथा के वास्तविक मर्म को समझने का प्रयास करेंगे। साथ ही वह इस तथ्य पर भी ध्यान देंगे कि कितनी पीढ़ियों के त्याग, तप और कठोर श्रम के पश्चात् अभीष्ट की प्राप्ति होती है। हम प्रायः बिना किसी श्रम या प्रयास के जीवन में श्रेष्ठ से श्रेष्ठ उपलब्धि की कामना करते रहते हैं जो हमारी असफलता का कारण बनती है। अतएव तप, त्याग, धैर्य और श्रम के महत्व को जीवन में समुचित स्थान दें तो दैव भी सहायक सिद्ध हो सकता है।
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