पुस्तक के विषय में
हिन्दू धर्म वस्तुतः समस्त धर्मो का स्त्रोत है | इसमें सभी धर्मो का बीज समाहित है | इसमें समस्त धर्मो का समावेश है कोई भी धर्म इसकी परिधि से बहार नही है |
सार्वभौमिक स्तर पर प्रभावकारी इस हिन्दुतत्व के प्रति जगत के लोगो की रूचि होना स्वाभिक ही है |
यह पुस्तक हिन्दुतत्व रूपी स्फटिक के विभिन्न पहलुओ से परिचित होने की जिज्ञासा रखने वालो पाठको की आवश्यकताओं की पूर्ति करती है | इस पुस्तक का अंग्रेजी संक्रमण सर्वप्रथम सन १९४७ में आल अबाउट हिन्दूइज़्म नाम से प्रकाशित हुआ था | प्रस्तुत पुस्तक सन १९९३ में प्रकाशित इसके पाँचवे परिवर्धित संस्करण का हिन्दी अनुवाद है |
हम आशा करते है कि हिन्दुतत्व तथा इसके दार्शनिक पक्षों में रूचि रखने वाले हिन्दी भाषा भाषी पाठको के लिए यह हिन्दी संस्करण रुचिकर तथा उपयोगी सिद्ध होगा |
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