नम्र निवेदन
शीघ्र एवं सुगमतापूर्वक परमात्मतत्त्वकी प्राप्ति चाहनेवाले साधकोंका मार्गदर्शन करनेके लिये परमश्रद्धेय श्रीस्वामीजी महाराजकी पुस्तकोंका पारमार्थिक जगत्में विशेष स्थान है । इन पुस्तकोंसे पारमार्थिक जगत्में एक क्रान्तिकारी परिवर्तन आया है । कारण कि इनमें गुह्यतम आध्यात्मिक विषयोंको सीधे सरल ढंगसे प्रस्तुत किया गया है, जिससे साधक इधर उधर न भटककर सीधी राह पकड़ सके । प्रस्तुत पुस्तक 'सब साधनोंका सार' भी इसी तरहकी पुस्तक है, जो प्रत्येक मार्गके साधकके लिये अत्यन्त उपयोगी है । सार बात हाथ लग जाय तो फिर सब साधन सुगम हो जाते हैं । परन्तु साधकका उद्देश्य अनुभव करनेका होना चाहिये, कोरी बातें सीखने और दूसरोंको सुनानेका नहीं । सीखा हुआ ज्ञान अभिमान बढानेके सिवाय और कुछ काम नहीं आता । अत: पाठकोंसे नम्र निवेदन है कि वे अनुभवके उद्देश्यसे इस पुस्तकका गम्भीरतापूर्वक अध्ययन करें और लाभ उठायें ।
विषय सूची
1
सब साधनोंका सार
2
अपना किसे मानें
16
3
सब कुछ परमात्माका है
21
4
सच्ची बात
26
5
परमात्मप्राप्तिमें देरी क्यों?
33
6
कल्याणका निश्चित उपाय
38
7
अभ्याससे बोध नहीं होता
40
8
कोटि त्यक्त्वा हरि स्मरेत्
46
9
नित्य प्राप्त की प्राप्ति
42
10
अनेकता में एकता
56
11
रुपयों के सहारेसे हानि
60
12
मामेकं शरणं व्रज
65
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