पुस्तक के विषय में
उच्च रक्तचाप पर योग का प्रभाव में उच्च रक्तचाप को योग-द्वारा नियंत्रित करने सम्बन्धी उपयोगी परामर्श दिये गये हैं । प्रथम भाग में चिकित्सात्मक और यौगिक, दोनों पक्षों के साथ-साथ मनो- वैज्ञानिक और प्राणिक प्रभावों, जीवन-पद्धति, तनाव ओंर आनुवंशिक दृष्टिकोणों से उच्च रक्तचाप के कारणों की विवेचना की गयी है । दूसरे भाग में योगाभ्यासों के साथ-साथ जीवन-शैली, विश्रान्ति और ध्यान द्वारा उच्च रक्तचाप के नियंत्रण एवं उपचार की चर्चा है । तीसरे भाग में उच्च रक्तचाप को ठीक करने तथा सतत् स्वास्थ्य की देखभाल हेतु विशेष यौगिक विधियों का सुव्यवस्थित अभ्यास कार्यक्रम दिया गया है ।
भूमिका
अनेक मनोदैहिक रोगों में केवल उच्च रक्तचाप ही ऐसा रोग है, जिसका उपचार आधुनिक और प्राचीन औषधियों के साथ योग को संयुक्त कर, सरलता से किया जा सकता है । यह रोग तो अन्य सभी रोगों का एक प्रतीक मात्र है, जिनसे आज मनुष्य पीडित है तथा जो प्रत्यक्षत: हमारे अगणित कष्टों के कारण हैं । प्रत्येक वैयक्तिक रोग के बाह्य कारणों में भिन्नता हो सकती है, जिसके कारण असंख्य अलग- अलग रोग उत्पन्न होते हुए प्रतीत होते हैं, परन्तु रोगों का यह बाहुल्य एक ही वर्णक्रम उपस्थित करता है तथा प्रत्येक रोग इसी वर्णक्रम का एक अंश होता है । सभी रोगों का मूलकारण एक ही है-अपनी यथार्थ प्रकृति का अज्ञान तथा अपने वास्तविक स्वरूप की चेतना का अभाव ।
यह पुस्तक आपको अपने शरीर तथा इसके शारीरिक, प्राणिक, मानसिक, आध्यात्मिक और अतीन्द्रिय परिवर्तनशील संघटकों की जानकारी प्रदान करने में सहायक होगी । । जब आप यह समझना प्रारम्भ करेंगे कि आप अपने को जो समझते थे उससे अधिक भी कुछ हैं, तब आप शाश्वत शांति एवं रोग से मुक्ति की ज्योति जलायेंगे । आपको वह शक्ति प्राप्त होगी, जो रोगों को उत्पन्न होने से रोकेगी, चाहे वह रोग उच्च रक्तचाप हो, कैंसर हो, या साधारण जुकाम हो ।
उच्च रक्तचाप के निवारण हेतु उपलब्ध साधनों के विकल्प की मांग के फलस्वरूप 'उच्च रक्तचाप का योगोपचार' नामक छोटी पुस्तिका का मस्तक रूप यह प्रस्तुत पुस्तक है । विभिन्न चिकित्सा पद्धतियों के मध्य सेतु निर्माण हेतु तथा लोगों को यह जानकारी देने के लिए कि उच्च रक्तचाप रोग से मुक्ति संभव है एवं रोग के चाहे उसे कोई भी नाम दिया गया हो, उन दुष्चक्रों को भंग करने की विधि की जानकारी देना ही इस पुस्तक का उद्देश्य है ।
हम डॉ. स्वामी विवेकानन्द, एम. बी. बी. एस; एम. ए. एन. जेड. सी. पी.; डी. पी. एम. के समीक्षात्मक सम्पादन हेतु तथा डॉ. श्रीनिवास, एम. डी., निदेशक, योग शोध संस्थान, पटना (बिहार) के प्रति आभार प्रदर्शित करते हैं, जिनके मार्गर्दर्शन और प्रयोगात्मक कार्य से काफी सहायता मिली है ।
विषय-सूची
1
प्राक्कथन
vii
xiii
2
द्वितीय अंग्रेजी संस्करण की भूमिका
xv
3
हिन्दी संस्करण की भूमिका
xviii
4
आमुख
xix
कारण
5
रक्त परिसंचरण तंत्र
6
उच्च रक्तचाप
18
7
चिकित्सीय दृष्टि
28
8
योग की दृष्टि
35
9
मानसिक कारण
39
10
प्राण सम्बन्धी कारण
45
11
तनाव और व्यक्तित्व
51
12
जीवन पद्धति
60
13
आनुवंशिकता और वार्द्धक्य
65
14
समग्र दृश्य
69
उपचार
15
योगोपचार
73
16
मानसिक समस्याओं का निराकरण
80
17
आसन और प्राणायाम
89
यौगिक जीवन पद्धति
104
19
विश्रान्ति और सजगता
112
20
ध्यान
121
21
समग्रात्मक चिकित्सा
135
अभ्यास
22
सम्पूर्ण प्रशिक्षण कार्यक्रम
149
23
आसन
156
24
सूर्य नमस्कार
163
25
पवन मुक्तासन
173
26
प्राणायाम
185
27
ध्यान के अभ्यास
194
योग निद्रा
201
परिशिष्ट
29
निम्न रक्तचाप
213
30
आहार सम्बन्धी परामर्श
217
31
जीवन के स्तम्भ
221
32
ग्रन्थ-सूची
225
रेखाचित्र
33
34
हृदय और आत्मा का अधिष्ठान
प्राण शरीर
48
36
अन्तःस्रावी ग्रन्थियाँ
56
37
चक्रों के स्थान
58
38
मस्तिष्क
124
स्वचालित तन्त्रिका तन्त्र
127
40
शवासन
158
41
वज्रासन
159
42
शशांकासन
160
43
पद्मासन
161
44
ज्ञान मद्रा
162
163-172
46
पवनमुक्तासन
173-185
47
यौगिक श्वसन
186
भ्रामरी प्राणायाम
187
49
नाड़ी शोधन प्राणायाम
188
50
शीतली प्राणायाम
191
शीतकारी प्राणायाम
192
52
आन्तरिक अगं
224
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