ग्रामीण, दलित तथा स्त्री कहानियो के साथ-साथ साठोत्तरी कहानी साहित्य में व्यक्तिवादी चेतना की प्रयोगशील कहानियाँ भी लिखी जाती रही है | विलास, सारंग, श्याम मनोहर, एस. डी. इनामदार, दिलिप चित्रे, अनिरुद्ध बनहट्टी इस धारा के प्रमुख कथाकार रहे है | अतियथार्थवादी तथा अभिव्यंजनावाद विचारधारा की ये कहानियाँ है |
कुल मिलकर अति मनोरंजकता से मराठी कहानी की विकास -यात्रा शुरू हुई थी, वह विभिन्न मोड़ो से ग्रामीण, दलित तथा स्त्री -जीवन के अंतरंग तक पहुँच गई है | आज वैश्वीकरण -बाजारीकरण की नवपूँजीवादी-उपभोक्तावादी सभ्यता में वह अपने 'मनुष्यता' की रक्षा के लिए भी सन्नद्ध हो रही है |
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