दिव्य योजना की पातियों के पिछले संस्करण के बाद के सोलह वर्षों में बहाई अंतर्राष्ट्रीय समुदाय में महत्वपूर्ण परिवर्तन हो चुका है। विकास के उल्लेखनीय संकेतकों में शामिल हैं विश्व न्याय मन्दिर के 'सीट' के निर्माण का कार्य पूरा होना, भारत और समोआ के बहाई उपासना मन्दिरों का निर्माण, एक्वाडोर, पेरू, संयुक्त राष्ट्र, बोलीविया, पनामा और लाइबीरिया में रेडियो स्टेशनों का शुभारम्भ, पूर्वी यूरोप तथा 'आयरन कर्टेन' के पतन के बाद के सोवियत संघ में प्रभुधर्म का तेजी से विस्तार तथा बड़े पैमाने पर लोगों का प्रभुधर्म में प्रवेश जिसमें कई देशों में तो हजारों और कई अन्य देशों में सैकड़ों की संख्या में लोगों ने प्रभुधर्म को स्वीकार किया और इस तरह वर्ष 1993 में प्रभुधर्म की विश्वव्यापी सदस्य संख्या कम से कम पचास लाख तक पहुँच गई।
आंतरिक रूप से देखें तो अपने दैनिक जीवन में बहाई शिक्षाओं को क्रियान्वित करने की बहाई समुदाय की क्षमता में काफी विकास हुआ है। बहाई समुदाय निरन्तर बढ़ती हुई सक्रियता के साथ विश्व शांति के विकास, पर्यावरण सम्बन्धी मामलों, साक्षरता, संयुक्त राष्ट्र संघ और इसकी एजेन्सियों तथा सामाजिक-आर्थिक दशाओं को बेहतर बनाने वाली परियोजनाओं में अपनी भागीदारी निभा रहा है। नित्य बढ़ती हुई संख्या में बहाई युवा लम्बी सेवा अवधियों में प्रतिभागी बने हैं, और बहाई स्कॉलरशिप एक ऐसी शक्ति के रूप में उभरा है जो बहाई शिक्षाओं के प्रति अधिक से अधिक समझ विकसित करने में अपना योगदान दे रहा है। ये सब मिलकर यह संकेत दे रहे हैं कि बहाई अपने आसपास की दुनिया में अपनी धार्मिक मान्यताओं को क्रियान्वित करने में और ज्यादा सक्षम हुए हैं।
जैसाकि प्रभुधर्म की विकास-गाथा में सदा से चलता आया है, संकट और विजय का अस्तित्व सदैव इसके साथ रहा है। 1979 में, ईरान में हुई इस्लामी क्रांति के कारण बहाई धर्म का मातृ-समुदाय उत्पीड़न के दावानल से घिर गया। सैकड़ों बहाइयों की हत्या, जिनमें से कई स्थानीय एवं राष्ट्रीय स्तरों पर सेवा के प्रमुख पदों पर कार्यरत थे, शीराज में बाब के घर को नष्ट कर दिया जाना, पवित्र स्थलों, सम्पत्तियों, बैंक खातों और पेन्शन फंड इत्यादि को जब्त कर लिया जाना, अनेक बहाइयों को उनकी नौकरियों से हटा दिया जाना तथा बहाई प्रशासनिक संस्थाओं पर प्रतिबंध लगा दिया जाना- ये सब बहाई समुदाय को नेस्तनाबूद करने के सुनियोजित अभियान के हिस्सा थे। परन्तु पूरी दुनिया के बहाई मित्रों के केन्द्रित प्रयासों से उत्पन्न विश्व-जनमत के दबाव के कारण इस दमन चक्र में शिथिलता आई, यद्यपि ईरान में बहाई धर्म को गैर-कानूनी घोषित किया जाना आज भी जारी है और इसके सदस्यों को मूलभूत मानवाधिकार भी प्राप्त नहीं हैं।
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