'भारत की खोज' की प्रस्तावना में इंदिरा गांधी ने कहा है कि "इस रचना में भारत के राष्ट्रीय- चरित्र के स्रोतों की गहरी पड़ताल की गई है।"
परिषद् बच्चों में अध्ययन की क्षमता व रुचि दोनों का ही विकास करने के लिए सदा तत्पर रही है और समय-समय पर इस क्षेत्र में विभिन्न प्रयास व नए-नए प्रयोग करती रहती है। पाठ्यक्रम में निर्धारित पुस्तकों के प्रकाशन से भिन्न परिषद् ने बच्चों में अध्ययन की प्रवृत्ति के विकास के लिए समय-समय पर पूरक अध्ययन सामग्री तथा उसके अंतर्गत प्रयोगात्मक स्तर पर कई पुस्तक मालाएँ व परियोजनाएँ शुरू की हैं। उन संभी प्रयासों का मूल उद्देश्य है बच्चों की पुस्तकों से दोस्ती कराना।
पूरक अध्ययन सामग्री के प्रकाशन को इस विचार ने जन्म दिया कि बच्चों को पाठ्यपुस्तकों की एकरसता से इतर कुछ ऐसी अध्ययन सामग्री भी दी जानी चाहिए जो कथ्य और कलेवर दोनों ही पक्षों में समृद्ध हो। साथ ही परोक्ष रूप से उन तक वांछित मानवीय मूल्य भी पहुँचाती हो। इसी दिशा में बढ़ाया गया एक और कदम है 'अतिरिक्त पठन योजना'।
इस योजना के अंतर्गत प्रकाशित पुस्तकें अपने बालक पाठकों को भारतीय संस्कृति के विभिन्न पहलुओं तथा विज्ञान व अन्य विषयों की जानकारी देने के साथ ही साहित्यिक व कलात्मक विरासत से उनका परिचय कराती हैं। इन पुस्तकों से उन्हें विभिन्न कार्य क्षेत्रों के विद्वानों व महापुरुषों के व्यक्तित्व व कृतित्व दोनों का सम्यक् ज्ञान भी प्राप्त होता है।
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