पुस्तक के विषय में
सृष्टि और संहार, जीवन और मृत्यु के बफर जोन पर खड़े आदमी की नियति से साक्षात्कार करता संजीव का यह उपन्यास हिन्दी साहित्य में जैविकी पर रचा गया पहला उपन्यास है | उपन्यास के पारम्परिक ढांचे में गैर पारम्परिक हस्तक्षेप और तज्जनित रचाव और रसाव इसकी खास पहचान है | निरंतर नए से नए और वर्जित से वर्जित विषय के अवगाहनकर्ता संजीव ने इसमें अपने ही बनाए दायरों का अतिक्रमण किया है और अपने ही गढ़े मानकों को तोड़ा है |
मिथ, इतिहास, विज्ञान, प्रोद्दोगिकी और नए से नए विषय तथा चिंतन की प्रयोग भूमि है यह उपन्यास और यह जीवन और मृत्यु के दोनों छोरों के आर पार तक ढलकता ही चला गया है, जहां कल अनंत है, जहां दिशाएँ छोटी पद जाती है, जहां गहराइयाँ अगम हो जाती है और व्याप्तियां अगोचर |
For privacy concerns, please view our Privacy Policy
Hindu ( हिंदू धर्म ) (12492)
Tantra ( तन्त्र ) (986)
Vedas ( वेद ) (705)
Ayurveda ( आयुर्वेद ) (1890)
Chaukhamba | चौखंबा (3352)
Jyotish ( ज्योतिष ) (1442)
Yoga ( योग ) (1093)
Ramayana ( रामायण ) (1389)
Gita Press ( गीता प्रेस ) (731)
Sahitya ( साहित्य ) (23045)
History ( इतिहास ) (8221)
Philosophy ( दर्शन ) (3378)
Santvani ( सन्त वाणी ) (2531)
Vedanta ( वेदांत ) (121)
Send as free online greeting card
Email a Friend
Manage Wishlist