ध्यान योग अन्तर्मन की शांति और आध्यात्मिक शक्तियों की ओर ले जाने वाला प्रवेश द्वार है। यह एक ऐसा आध्यात्मिक अभ्यास है, जिसे व्यक्ति धैर्य और शांतिपूर्वक बैठकर अपने आप के साथ किया करता है। वास्तव में मन की शांति और स्थिरता का नाम ही ध्यान है। यह शांति का मुख्य द्वार होने के साथ-साथ शक्ति और सफलता का आधार भी है। शांति के लिए जहाँ चाहिए तनावमुक्त ज़िन्दगी, शक्ति के लिए चाहिए स्वयं पर विश्वास और सफलता के लिए चाहिए सुदृढ़ सकारात्मक मानसिकता तो ध्यान से ये तीनों हल अनायास ही मिल जाते हैं। बेहतर स्वास्थ्य, मानसिक शांति और लक्ष्य प्राप्ति के लिए आचार्य चन्द्रप्रभ की यह पुस्तक आपके लिए वरदान साबित हो सकती है।
श्री चन्द्रप्रभ का जन्म राजस्थान प्रदेश के बीकानेर शहर में 10 मई 1962 को हुआ, जिन्होंने अपना सम्पूर्ण जीवन शिक्षा, साहित्य एवं ज्ञान की सेवा में समर्पित कर दिया। उन्हें राष्ट्र-संत भी कहा जाता है। वे वर्तमान युग के महान जीवनद्रष्टा संत हैं। उनका जीवन प्रेम, प्रज्ञा, सरलता और साधना से ओतप्रोत है। वे न केवल मिठास भरा जीवन जीने की प्रेरणा देते हैं वरन् अपने जीवन में भी मिठास और माधुर्य घोले रखते हैं। वे आम इंसान के बहुत करीब हैं। उनके द्वार सबके लिए खुले हुए हैं। उनके पास बैठकर व्यक्ति को जो अनुपम आनंद, ज्ञान और सुकून मिलता है वह उसे आजीवन भुला नहीं पाता है।
ध्यानयोग अंतर्मन की शांति और अतीन्द्रिय शक्तियां की ओर ले जाने वाला प्रवेशद्वार है। यह एक ऐसा आध्यात्मिक अभ्यास है जिसे व्यक्ति धैर्य और शांतिपूर्वक बैठकर अपने आप के साथ किया करता है। ध्यान धरना अर्थात् अंतर्मन में उतरकर शांति और आनन्द की बांसुरी बजाना है। मन की शांति और स्थिरता का नाम ही ध्यान है। किसी समय ध्यानयोग केवल वैरागी या मुमुक्ष लोग ही किया करते थे, किन्तु तनाव और भागमभाग भरे इस दौर में ध्यान आज के आम इंसान की आवश्यकता है।
ध्यानयोग एक सदाबहार टॉनिक है। यदि दुनिया में 'मेडिसीन' का उससे भी कोई बेहतर विकल्प है तो वह 'मेडिटेशन' ही है। ध्यानयोग जहां शांति का मुख्य द्वार है, वहीं शक्ति और सफलता का भी आधार है। शांति के लिए चाहिए तनावमुक्त ज़िन्दगी, शक्ति के लिए चाहिए स्वयं पर विश्वास और सफलता के लिए चाहिए सुदृढ़ सकारात्मक मानसिकता। ध्यान से ये तीनों ही तत्त्व अनायास उपलब्ध हो जाते हैं।
इस पुस्तक के माध्यम से ध्यान के महत्त्व, परिणाम और प्रक्रिया पर प्रकाश डाल रहे हैं ध्यानयोग के प्रसिद्ध गुरु पूज्य श्री चन्द्रप्रभ जी। उन्होंने ध्यानयोग के समुचित अभ्यास के लिए राजस्थान स्थित जोधपुर के शांत-सौम्य- प्राकृतिक वातावरण में संबोधि-धाम के नाम से साधना-केन्द्र भी बनाया है। पूज्यश्री की जीवन-दृष्टि आज जहां आम इंसान को बेहतर जीना सीखा रही है, वहीं हज़ारों लोग उनसे ध्यान और योग के प्रयोग सीख कर अपने जीवन को आध्यात्मिक ऊंचाई भी प्रदान कर रहे हैं।
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