Look Inside

नाथ सम्प्रदाय का सांस्कृतिक अध्ययन (भित्ति चित्र विशेष सन्दर्भ - मारवाड़ एवं मेवाड़)- Cultural Studies of the Nath Sect (Murals Special Reference - Marwar and Mewar

FREE Delivery
Express Shipping
$48
Express Shipping: Guaranteed Dispatch in 24 hours
Quantity
Delivery Ships in 1-3 days
Item Code: HBF413
Author: Namrata Swarnkar
Publisher: Rajasthani Granthagar, Jodhpur
Language: Hindi
Edition: 2024
ISBN: 9789348239501
Pages: 377 (with Color & B/W Illustrations)
Cover: HARDCOVER
Other Details 8.5 X 5.5
Weight 590 gm
Fully insured
Fully insured
Shipped to 153 countries
Shipped to 153 countries
More than 1M+ customers worldwide
More than 1M+ customers worldwide
100% Made in India
100% Made in India
23 years in business
23 years in business
Book Description
About the Book
संस्कृतिकरणनिधि सागर से निरन्तर पुष्पित होती रही है फिर क्षेत्र चाहे साहित्य का हो संगीत का मूर्तिशिल्प का पा चित्रकला का हो कलायक अभिव्यक्ति सभी माध्यमों में निरन्तर होती रही है। सभी कलात्मक अभिरूपों में समकालीन संस्कृति दर्पण में प्रतिविम्व की तरह परिलक्षित हुई है। इसी दर्पण का एक प्रतिरूप राजस्थान में नाथ संप्रदाय की भित्ति चित्रकला एक विरासत है जो धर्म व समाज के सेतु रूप में प्रकट हुई।

इसी कला आधार को विस्तृत रूप एवं अधिक सारगर्भित रूप से समझने एवं विषय की सर्वाधिक प्राचीनतम उपलब्धता को ध्यान में रखते हुए संकुचित क्षेत्र मारवाड़ एवं मेवाड की नाथ सम्प्रदाय भित्ति चित्रकला विषय चुना गया। दोनों ही क्षेत्र नाथ सम्प्रदाय के प्राचीन एवं प्रमुख केन्द्र है एवं दोनों क्षेत्रों में यह सम्प्रदाय राजदरबार के संरक्षण में अत्यधिक विकसित हुआ है इस कारण कई ऐतिहासिक मन्दिरों व महलों का निर्माण हुआ जो इसके कलात्मक वैभव के साक्षी है। नाथ सम्प्रदाय की भित्ति चित्रकला के माध्यमों में पुरातनता एवं विभिन्नता होते हुए भी संयोजन के गुण तत्वों से युक्त सशक्त रेखांकन ने इसकी चारुता में अभिवृद्धि कर दी है।

अंततः इसकी कलात्मक गुणवत्ता को तथ्यपरक जानकारियों के साथ समग्रता से अध्ययन सर्वेक्षण व प्रगटन करने हेतु यह शोध प्रबंध एक पुस्तक रूप में नाथ संप्रदाय का सांस्कृतिक अध्ययन (भित्तिचित्र विशेष संदर्भ - मारवाड़ एवं मेवाड़) प्रस्तुत है।

प्राक्कथन
बोरी के रक्त से सिंचित यह तपोकर्म भूमि राजस्थान की संस्कृति कलानिधि के सागर को विस्तर पुष्पित व पल्लवित होती रही है फिर क्षेत्र चाहे साहित्य का हो, संगीत का, मूर्तिशिल्प का या चित्रकला का हो कलात्मक अभिव्यक्ति सभी माध्यमों में निरन्तर होती रही है। सभी कालायक अभिरूपों में समकालीन संस्कृक्ति दर्पण में प्रतिबिम्ब की तरह परिलक्षित हुई है। इसी दर्पण का एक प्रतिरूप राजस्थान में नाथ सम्प्रदाय की चित्रकला एक विरासत है जो धर्म व समाज के सेतु रूप में प्रकट हुई। इसी कला आधार को विस्तृत रूप से जानने के उद्देश्य से मैंने अपने शोध के विषय रूप में चयन किया।

शोध प्रबन्ध को और अधिक सारगर्भित रूप से समझने एवं विषय की सर्वाधिक प्राचीनतम उपलब्धता को ध्यान में रखते हुए संकुचित क्षेत्र मारवाड़ व मेवाड़ की नाथ सम्प्रदाय की भित्ति चित्रकला विषय चुना गया।

प्राचीन भित्ति चित्र परम्पराओं व तकनीक का अध्ययन मुझे सदा से प्रिय रहा है। आदरणीय कलागुरु कलाविद् प्रो. देवकीनन्दन जी शर्मा सर के सानिध्य में मुझे एक वर्षीय म्यूरल चित्रण में स्नातकोत्तर डिप्लोमा करने का सौभाग्य प्राप्त हुआ है। तभी शोध के संस्कार बीज रूप से अंकुरित हो गये और आदरणीय भाई साहब जी (सर) के कला के प्रति समर्पण व साधना ने मुझे भी अत्यन्त प्रेरित किया और भित्ति चित्रण से संबंधित शोध की दिशा में यात्रा आरम्भ हुई।

अतः गुरु सत्ता के आशीर्वाद की फलश्रुति से जब नाथ सम्प्रदाय की कला से साक्षात्कार हुआ तब मेरे द्वारा नाथ सम्प्रदाय की भित्ति चित्रकला का विषय ही शोध प्रबन्ध हेतु चुनाव का प्रिय एवं मुख्य आधार बना।

राजस्थान में मेवाड़ व मारवाड़ दोनों ही क्षेत्र नाथ सम्प्रदाय के प्राचीन व प्रमुख केन्द्र हैं एवं दोनों राज्यों में यह सम्प्रदाय राजदरबार के संरक्षण से अत्यधिक विकसित हुआ है इस कारण कई ऐतिहासिक मन्दिरों, मठों व महलों का निर्माण हुआ जो इसके कलात्मक वैभव के साक्षी हैं।

नाथ सम्प्रदाय की पुरातनता व इसकी चित्रकला के माध्यमों में विभिन्नता होते हुए भी संयोजन के गुण तत्त्वों से युक्त सशक्त रेखांकन ने इसकी चारूता में अभिवृद्धि कर दी है। अतः मैं भी इसके आकर्षण से मुग्ध हुए बगैर ना रह सकी। अन्ततः इसकी कलात्मक गुणवत्ता को तथ्यपरक जानकारियों के साथ समग्रता से अध्ययन व प्रगटन करने हेतु अपने शोध प्रबन्ध के विषय रूप में इसका चयन किया।

सर्वप्रथम मैं अपने आध्यात्मिक गुरु श्रद्धेय आचार्य श्री स्वामी अवधेशानन्द गिरी जी महाराजकी असीम सहृदयता के प्रति सदैव श्रद्धा सहित नतमस्तक हूँ जिन्होंने मुझे शोध प्रबन्ध के गूढ़ रहस्यों को समझने एवं पूर्ण करने की सामर्थ्य प्रदान की। इस शोध प्रबन्ध की पूर्णाहूति में आदरणीय स्वामीजी अचलानन्दगिरि (सैनाचार्यजी) महाराजजीद्वारा मिले स्नेहिल आशीर्वाद












Frequently Asked Questions
  • Q. What locations do you deliver to ?
    A. Exotic India delivers orders to all countries having diplomatic relations with India.
  • Q. Do you offer free shipping ?
    A. Exotic India offers free shipping on all orders of value of $30 USD or more.
  • Q. Can I return the book?
    A. All returns must be postmarked within seven (7) days of the delivery date. All returned items must be in new and unused condition, with all original tags and labels attached. To know more please view our return policy
  • Q. Do you offer express shipping ?
    A. Yes, we do have a chargeable express shipping facility available. You can select express shipping while checking out on the website.
  • Q. I accidentally entered wrong delivery address, can I change the address ?
    A. Delivery addresses can only be changed only incase the order has not been shipped yet. Incase of an address change, you can reach us at help@exoticindia.com
  • Q. How do I track my order ?
    A. You can track your orders simply entering your order number through here or through your past orders if you are signed in on the website.
  • Q. How can I cancel an order ?
    A. An order can only be cancelled if it has not been shipped. To cancel an order, kindly reach out to us through help@exoticindia.com.
Add a review
Have A Question
By continuing, I agree to the Terms of Use and Privacy Policy
Book Categories