लेखक द्वारा इस पुस्तक को नई शिक्षा नीति 2020 में हुए बदलाव को आधार बनाकर विभिन्न विश्वविद्यालयों के स्नातक एवं स्नाकोत्तर पाठ्यक्रम के साथ-साथ CUET PG (Philosophy), संघलोक सेवा आयोग एवं राज्य लोक सेवा आयोग, यूजीसी नेट-जेआरएफ, स्टेट सेट परीक्षा, असिस्टेंट प्रोफेसर जैसी परीक्षाओं के पाठ्यक्रम को आधार बनाकर संपूर्ण भारतीय दर्शन को अध्यायवार संकलित किया गया है। लेखक ने मुख्य परीक्षा एवं यूजीसी नेट पाठ्यक्रम के बदलते आयाम को सिनॉप्सिस, फ्लो चार्ट तथा तथ्यात्मक सामग्री के रूप में विषयवार संकलित किए हैं। पुस्तक के अंतर्गत संघ लोक सेवा आयोग एवं राज्य लोक सेवा आयोग के विगत 10 वर्षों के महत्वपूर्ण प्रश्नों को सिनॉप्सिस एवं फ्लो चार्ट, तथ्यात्मक सामग्री के माध्यम से विषयवार संकलित किया गया है। पुस्तक के अंतर्गत यूजीसी नेट के प्रश्न पत्र (1995-2023) तक के संपूर्ण तथ्यात्मक सामग्री को विषयवार सिनॉप्सिस के माध्यम से प्रस्तुतिकरण किया गया है।
डॉ० अवधेश यादव (असिस्टेंट प्रोफेसर) दर्शनशास्त्र विभाग, लक्ष्मीबाई कॉलेज, दिल्ली विश्वविद्यालय में कार्यरत हैं। लेखक ने अपनी संपूर्ण शिक्षा स्नातक, स्नातकोत्तर एवं पी.एच.डी. काशी हिंदू विश्वविद्यालय वाराणसी से उत्तीर्ण की है। लेखक ने यू.पी.एस.सी. के मुख्य परीक्षा एवं बी.पी.एस.सी/यू.पी.पी.एस.सी. की मुख्य परीक्षा उत्तीर्ण करने के पाश्चात् आई.सी.पी.आर. (जे.आर.एफ) के साथ यू. जी.सी.नेट-जे.आर.एफ की परीक्षा उत्तीर्ण कियें हैं। विगत 12 वर्षों से देश के विभिन्न कोचिंग संस्थानों में पठन-पाठन में कार्यरत भी रहें हैं। लेखक द्वारा लिखित करीब 2 दर्जन से अधिक शोध-पत्र देश के विभिन्न विश्वविद्यालयों नेशनल एवं इंटरनेशनल सेमिनार तथा देश की प्रतिष्ठित शोध पत्रिकाओं में प्रकाशित हो चुके हैं। साथ ही लेखक की 13 पुस्तकें विभिन्न प्रकाशन से प्रकाशित हो चुकी है।
जीवन की आध्यात्मिक मान्यताओं में व्याप्त समस्याओं को दार्शनिक समस्या के रूप में मूल्यांकन करने के बाद जीवन अत्यंत सरल एवं सुव्यवस्थित बन जाता है। हमें लौकिक एवं पारलौकिक विषय वस्तुओं का यथार्थ ज्ञान प्राप्त हो जाता है। इसी लौकिक एवं पारलौकिक ज्ञान के आशिक अंश को बाबा विश्वनाथ के चरणों में समर्पित करते हुए अपने जीवात्मा को संसारी समस्याओं के बीच सुव्यवस्थित जीवन निर्वहन की क्रिया को परिमार्जित करने के बाद "भारतीय दर्शन का समीक्षात्मक सर्वेक्षण" नामक पुस्तक का सृजन करने जा रहा हूँ।
आधुनिक परिप्रेक्ष्य में प्रतियोगी परीक्षाओं की मांग को देखते हुए दर्शन शास्त्र विषय की समस्यों को दूरकर एक नए दृष्टिकोण में प्रतिपादित करने के लिए मैंने इस पुस्तक "भारतीय दर्शन का समीक्षात्मक सर्वेक्षण" को नया रूप प्रदान करने का प्रयास कर रहा हूँ। जहां दर्शनशास्त्र में व्याप्त भारतीय दर्शन में उठती ज्ञान मीमांसा के साथ प्रमाण मीमांसा तथा नीति मीमांसा के सभी आयामों को समग्र रूप में प्रस्तुत करने का प्रयास किया गया है।
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