पुस्तक के विषय में
मृदुला गर्ग का जन्म २५ अक्टूबर १९३८ को कोलकाता में हुआ | १९६० में उन्होंने दिल्ली स्कुल ऑफ़ इकोनॉमिक्स से अर्थशास्त्र में एम. ए. किया और कुछ वर्ष अध्यापन किया | उनके रचना संसार में सभी गद्द विधाएँ सम्मिलित है उपन्यास, कहानी, नाटक, निबंध, यात्रा साहित्य, स्तम्भ लेखन, व्यंग्य आदि | उनका कथा साहित्य कथ्य और शिल्प के अनूठे प्रयोग के लिए किया जाता है | व्यक्ति व समाज के मूल द्वन्द उसमे एकमएक होकर अपनी विडंबनाओं में गहराई तक परखे जाते है | भाषा की लय और गत्यात्मकता उन्हें पठनीय बनती है |
अब तक सात उपन्यास प्रकाशित उसके हिस्से की धुप, वंशज, चित्तकोबरा, अनित्य, मैं और मैं, कठगुलाब तथा मिलजुल मन | ११ संग्रहों में प्रकाशित अस्सी कहानियाँ, संगीत विसंगीत दो खंडो में संग्रहीत | कुछ अटके, कुछ भटके यात्रा संस्मरण | नाटक है एक और अजनबी, जादू का कालीन, कितनी कैदे तथा साम दाम दंड भेद (बल नाटक) | २००३ से २०१० तक इंडिया टुडे (हिंदी) में पाक्षिक स्तंभ कटाक्ष लिखा | सभी लेख कर लेंगे सब हज़म तथा खेद नहीं है नाम से पुस्ताकार प्रकाशित |
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