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कन्फ्यूशियस: Confucius

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Item Code: HBA306
Author: Manisha Mathur
Publisher: GYAN GANGA, DELHI
Language: Hindi
Edition: 2023
ISBN: 9789382901334
Pages: 183 (B/W Illustrations)
Cover: HARDCOVER
Other Details 9.00x6.00 inch
Weight 340 gm
Fully insured
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100% Made in India
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23 years in business
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Book Description
भूमिका

स समय भारत में भगवान् महावीर और भगवान् बुद्ध धर्म के संबंध में नए विचार जि रख रहे थे, चीन में भी एक सुधारक का जन्म हुआ, जिसका नाम कन्फ्यूशियस था। उस समय चीन में झोऊ राजवंश का वसंत और शरत् काल चल रहा था। समय के साथ झोऊ राजवंश की शक्ति शिथिल पड़ने के कारण चीन में बहुत से राज्य कायम हो गए, जो सदा आपस में लड़ते रहते थे, जिसे 'झगड़ते राज्यों का काल' कहा जाने लगा। अतः चोन की प्रजा बहुत ही कष्ट झेल रही थी। ऐसे समय में चीनवासियों को नैतिकता का पाठ पढ़ाने हेतु महात्मा कन्फ्यूशियस का आविर्भाव हुआ।

उनका जन्म ईसा मसीह के जन्म के करीब 550 वर्ष पहले चीन के शानदोंग प्रदेश में हुआ था। बचपन में ही उनके पिता की मृत्यु हो गई। उनके ज्ञान की आकांक्षा असीम थी। बहुत अधिक कष्ट करके उन्हें ज्ञान-अर्जन करना पड़ा था। 17 वर्ष की उम्र में उन्हें एक सरकारी नौकरी मिली। कुछ ही वर्षों के बाद सरकारी नौकरी छोड़कर वे शिक्षण कार्य में लग गए। घर में हो एक विद्यालय खोलकर उन्होंने विद्यार्थियों को शिक्षा देना प्रारंभ किया। वे मौखिक रूप से विद्यार्थियों को इतिहास, काव्य और नीतिशास्त्र की शिक्षा देते थे। काव्य, इतिहास, संगीत और नीतिशास्त्र पर उन्होंने कई पुस्तकों की रचना भी को।

55 वर्ष की उम्र में वे लू राज्य में एक शहर के शासनकर्ता और बाद में मंत्री पद पर नियुक्त हुए। मंत्री होने के नाते उन्होंने दंड के बदले मनुष्य के चरित्र सुधार पर बल दिया। कन्फ्यूशियस ने अपने शिष्यों को सत्य, प्रेम और न्याय का संदेश दिया। वे सदाचार पर अधिक बल देते थे। वे लोगों को विनयी, परोपकारी, गुणी और चरित्रवान् बनने की प्रेरणा देते थे। वे बड़ों एवं पूर्वजों का आदर-सम्मान करने के लिए कहते थे। वे कहते थे कि दूसरों के साथ वैसा बरताव न करो जैसा तुम स्वयं अपने साथ नहीं करना चाहते हो।










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