कथन व श्रवण और लेखन व पठन एक ही तुला के दो पलड़े हैं। कथन का प्रयोजन श्रवण और लेखन का प्रयोजन पठन पूर्ण करता है। यदि कथन को सुना न जाए और लेखन को पढ़ा न जाए. तो होते हुए भी कथन और लेखन वास्तव में कथन और लेखन नहीं हैं। इसी विचार से अनुप्रेरित होकर अकिचन ने प्रस्तुत संकलन का नाम, 'अनूदित कहानी संग्रह' के बजाय 'सुहावनी सुनानी-संग्रह' रखा है। यूं भी आदिकाल से 'कहानी' दादी-नानी के द्वारा सुनाई जाने वाली, राजा, रानी, परियों और दानवों (दोनों) की कथा- विधा की पर्याय बनी चली आ रही है। कहानी का जन्म ही उस दिन हुआ होगा, जिस दिन हृदय के भाव या मन की बात सुनाने वाले को कोई श्रोता समुपलब्ध हुआ होगा। सुनने-सुनाने की परंपरा से निस्त कहानी के व्यापक अर्थ में ब्रह्माजी द्वारा सुनाये जाने के कारण और ऋषियों के द्वारा श्रवण किये जाने के कारण वेद को 'श्रुति' कहा गया है। यानि, वेद भी कहानी की परंपरा में ही आते है। अलबत्ता. वेद निसंदेह अलौकिक और सृष्टि की सर्वश्रेष्ठ कहानियाँ हैं।
संकलन में विश्व-विख्यात स्तरीय आठ कहानियों के हिन्दी अनुवाद को उनके मूल पाठ सहित संकलित किया गया है। कहना न होगा, कहानियों का सार, उनका मौलिक रूप ही होता है, अनुवाद में मात्र उनका चोला बदलने भर की छूट होती है, प्राण व आत्मा को बदलने की नहीं। यहाँ मैंने भी उन्हें हिंदी में अनूदित (अनुवादित) कर एक श्रेष्ठ सामग्री को हिदी के पाठकों के समक्ष परोसने भर का काम किया है। कहानियों का अनुवाद करते समय मेरा भरसक प्रयास रहा है, कि अनुवाद मात्र शब्दों के स्थानापन्न की, या भाषान्तर की बौद्धिक कवायद बनकर न रह जाये। अस्तु, मैंने रचनाओं के आत्मा को प्रभावित करना तो दूर, कहानियों की काया में भी कोई खरोंच न आने पाए, का पूरा ध्यान रखा है। सो, मेरी पूरी कोशिश रही है, कि मूल रचना में निहित प्रेम, वात्सल्य, उत्साह, कौतूहल, जिज्ञासा, मिलन, विछोह आदि से उद्भूत संवेगों व संवेदनाओं, भावों-संचारी भावों आदि की संपूर्णतः रक्षा की जा सके। पाठकवृंद अनुवाद का उसके मूल पाठ से मिलान करके संज्ञान में ले सकते हैं, कि अनुवाद कर्म अपने मौलिक रूप की भांति ही सरस, मार्मिक, प्राणवंत और सशक्त है, कि नहीं।
इन कहानियों को हिंदी के प्रकाश में लाने का मेरा एक ही मंतव्य है, कि इनके अवगाहन के द्वारा सामान्य पाठक मित्र भी, अकिंचन की भांति ब्रह्मानंद सहोदर की प्राप्ति करें। यद्यपि यह कहना भी अनुचित न होगा, कि संग्रहित विविध भावमयी कहानियाँ माध्यमिक व डिग्री स्तर पर अध्ययरत विद्यार्थियों का भी ज्ञानवर्धन एवं भावनात्मक विकास करके उनको लाभान्वित करेंगी।
संकलन में संकलित इंग्लिश स्टोरीज को उपलब्ध कराने में विद्वान मित्र, प्रिय डॉ. कुमार संजय के द्वारा कृत उपकार को अकिंचन कभी न भूलेगा। पाण्डुलिपि के निर्माण से प्रणयन तक जाने-अनजाने जिन व्यक्तियों, अथवा शक्तियों का सहयोग मिला है. अकिंचन उन सभी के प्रति आभार व्यक्त कर रहा है।
उदार प्रकाशक, श्री सत्यम पाण्डेय जी की सदाशयता, जिसके बिना पाण्डुलिपि का कायान्तर कठिन था, को अकिंचन मुहुर्मुहुः नमन कर रहा है।
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