प्रस्तावना
'बच्चे मानवता की महानतम् सम्पत्ति' पुस्तक पाठकों कें सम्मुख रखते हुए हमे प्रसत्रता हो रही है। जपान में टोकियोस्थित श्री शिवजी वेलजी कोठारी द्वारा आयोजित सभा में स्वामी रंगनाथानन्दजी महाराज द्वारा दिनांक 7 मई 1986 को प्रदत्त अंग्रेजी व्याख्यान का यह हिन्दी अनुवाद है ।
स्वामी रंगनाथानन्दजी महाराज ने इस पुस्तक का हिन्दी अनुवाद प्रकाशित करने के लिए हमें लिखा था। इस पुस्तक का हिन्दी अनुवाद जयपुर निवासी श्री दुर्गेश कुमार शर्मा ने बड़ी तत्परतापूर्वक किया है। हम उन्हें हार्दिक धन्यवाद देते हैं। नागपुर के प्रसिद्ध हिन्दी कवि श्री दयाशंकर तिवारी 'मौन', ने इस पुस्तक का संशोधन किया तथा कुछ अंश का अनुवाद किया हैं, इसलिए हम उनके आभारी है ।
हमें विश्वास है कि इस छोटी किन्तु महत्वपूर्ण पुस्तक का सुधी पाठक स्वागत करेंगे।
अनुक्रमणिका
1
परिचय
2
धर्म : एक वैज्ञानिक दृष्टि की आवश्यकता
3
मानवीय विकास : इसके तीन आयाम
6
4
वैयक्तिकता (Individuality) बनाम
व्यक्तित्व (Personality)
11
5
आध्यामित्यक विकास के रूप में
मनो-सामाजिक क्रम-विकास
15
मूल्यों की समस्या
17
Hindu (हिंदू धर्म) (12750)
Tantra (तन्त्र) (1020)
Vedas (वेद) (706)
Ayurveda (आयुर्वेद) (1915)
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