'हंसा दीप' का कहानी संग्रह 'चेहरों पर टँगी तख्तियाँ' 16 कहानियों का संग्रह है। संग्रह की पहली कहानी संग्रह का शीर्षक बनी है। कहानीकार कहानी क्यों लिखता है, इसका विवेचन स्वयं लेखिका ने किया है। वे लिखती हैं मैं भारत से बाहर रहूँ या फिर भारत में, बदलते पात्र मन की गहराईयों से जुड़े रहते हैं क्योंकि मनुष्य अपनी भावनाओं को किसी देश विशेष की सरहदों के भीतर नहीं रख सकता। इस संग्रह की सारी कहानियाँ विदेशी परिवेश की विद्रूपताओं को समेटे आम जीवन के अनगिनत अपेक्षित पहलुओं को पाठकों के समक्ष प्रस्तुत कर देती हैं। सच तो यह है कि इंसान की स्वाभाविक प्रवृत्तियाँ एक जैसी होती हैं, कहीं चले जाइए वे साथ-साथ चलती हैं फिर चाहे वह भारत हो, अमेरिका हो या केनेडा। यह रचनाकार का छठा कहानी संग्रह है। वे लगातार लिखती रहें, सार्थक लेखन करती रहें और उनकी रचनाएँ पुस्तकाकार प्रकाशित होकर पाठकों को समृद्ध करती रहें, ऐसी कामना है।
हर्ष का विषय है कि यह कहानी संग्रह केंद्रीय हिंदी संस्थान के सौजन्य से प्रकाशित हो रहा है। रचनाकार को बहुत-बहुत साधुवाद और उज्ज्वल भविष्य हेतु शुभकामनाएँ। प्रकाशन से जुड़े सभी सदस्य हार्दिक धन्यवाद के पात्र हैं।
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