प्रस्तावना
इस देशमें महामृत्युञ्जय प्रयोगका प्रचार बहुत है। अनुष्ठानी ब्राह्मण इस प्रयोगसे अनेकों कार्य सिद्ध करते हैं। पहले यह विधि अनुष्ठानियोंके पास ही उपलब्ध होती थी और साधारण ब्राह्मण इससे अनभिज्ञ होरहे थे, यह देखकर पहले पहल मेंने संवत् १९५५ में इस प्रयोगविधिको कल्याण ''लक्ष्मीवेंकटेश्वर'' प्रेसमें छपवा दी। इसकी प्रथमावृत्ति इतनी जल्दी बिकी कि दुबारा शुद्ध कर भेजनेके पहले ही उसकी दो आवृत्ति छपाई गई तब मैंने संवत् १९६२ में इसकी कुक विशेष उपयोगी और शुद्ध प्रति बम्बईके ''श्रीवेंकटेश्वर' प्रेसमें भेजी। वहां यह संवत् १९६२-६७-७२ और ७४ में शुद्धतापूर्वक छपती रही। इसके अधिक प्रचारको देखकर बम्बईके हरिप्रसाद भगीर- थजीने भी इसे छापी, किन्तु अनधिकाररूपमें मुझसे बिना पूंछे छापनेका परिणाम यह हुआ कि उनको सं १९७३ की छपी पुस्तकोंसे हानि उठानी पड़ी। इसका प्रचार इस देशमें बहुत है और कामना सिद्धिके लिये लोग इसपर बहुत विश्वास, भक्ति, श्रद्धा रखते है। इससे प्रयोग सम्बन्धी बहुतसे विषय इसमें संयुक्त कर दिये गये है। आशा है कि, सर्व साधारणको इससे अधिक लाभ होगा और वे उचितरूपसे उसको उपयोगमें लेंगे।
विषय सूची
1
प्रयोगका प्रयोजन
2
कार्यके अनुसार प्रयोगका प्रमाण
3
प्रयोगविधि हवनविधि
4
संकल्पविधि
5
प्रार्थिवपूजाविधि
6
शिवपूजाविधि
7
शिवानीराञ्जनार्ति
8
भूतशुद्धि
9
प्राणप्रतिष्ठा
10
जपविधि
11
ग्रन्थान्तरोक्तजपविधि:
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