चाणक्य नीति मूलतः संस्कृत में है जिसका अनुवाद न केवल हिंदी भाषा में बल्कि विश्व की अनेक भाषाओं में भी हो चुका है। इसकी सफलता का रहस्य इसी नीति पुस्तक में है। वह ऐसी नीति है जिसके द्वारा चाणक्य ने एक सामान्य से सैनिक को भी भारत का सम्राट बना दिया। वह सम्राट था चंद्रगुप्त मौर्य।
स्वयं चाणक्य (विष्णुगुप्त) तक्षशिला विश्वविद्यालय में अर्थशास्त्र के आचार्य थे। वहीं उनकी शिक्षा दीक्षा पूर्ण हुई थी। यह बात 325 ईसा पूर्व की थी। जब भारत पर सम्राट चंद्रगुप्त का शासन था।
चाणक्य पर्णकुटी में रहते थे। चाणक्य को पर्णकुटी में रहते देख चीन के ऐतिहासिक यात्री फाह्यान को बड़ा अचंभा हुआ। उसने उनसे कहा कि इतने बड़े साम्राज्य का प्रधानमंत्री ऐसे स्थान पर रहता है।
प्रत्युत्तर में चाणक्य का कहना था कि जिस देश का प्रधानमंत्री सामान्य सी पर्णकुटी में रहता हो, उस देश के निवासी भव्य भवनों में वास किया करते हैं। इसके विपरीत जिस देश का प्रधानमंत्री महलों में रहता हो, वहां के लोग झोंपड़ियों में रहते हैं।
इस प्रकार चाणक्य ने शासकों के मुंह पर आज से हजारों वर्ष पूर्व ऐसा करारा तमाचा मारा। चाणक्य का पूरा जीवन संघर्षमय रहा है। अपने नीति ग्रंथ 'चाणक्य नीति' के रूप में चाणक्य आज भी हमारे बीच मौजूद हैं और तब तक रहेंगे जब तक यह कायनात मौजूद है।
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